भारत का इकलौता रेलवे ट्रैक, जिस पर आज भी चलता है अंग्रेजों का राज!

भारत में राजधानी, दुरंतो, मेल, एक्सप्रेस, शताब्दी, वंदे भारत, डबल डेकर, पैसेंजर ट्रेन चलाई जाती है। लोग किराया और सुविधा अनुसार टिकट बनाते हैं।

भारतीय रेलवे का इतिहास आजादी से पहले का है। यह जितना मजेदार है, उतना ही अधिक रोचक भी है। समय के साथ-साथ इसमें कई तरह के बदलाव किए गए हैं। यह यात्रियों के लिए सबसे आरामदायक और सस्ता माध्यम माना जाता है। इसमें गरीब से गरीब और अमीर से अमीर हर तरह के लोग सफर कर सकते हैं। देश भर में प्रतिदिन 1500 से भी अधिक ट्रेनें संचालित की जाती है, जो अलग-अलग दिशाओं के लिए रवाना होती है। हर रोज सभी जगह से लाखों यात्री रेल सफर पर निकलते हैं। इस दौरान उनका अनुभव अलग रहता है।

भारत में राजधानी, दुरंतो, मेल, एक्सप्रेस, शताब्दी, वंदे भारत, डबल डेकर, पैसेंजर ट्रेन चलाई जाती है। लोग किराया और सुविधा अनुसार टिकट बनाते हैं।

नहीं मानते नियम

सफर के दौरान ट्रेन अलग-अलग स्टेशनों पर रुकती हुई अपने गंतव्य तक पहुंचती है। यह सभी स्टेशन ट्रेन की डिमांड क्षेत्रफल के हिसाब से बनाया जाता है। जिस पर भारतीय रेलवे का अधिकार है, लेकिन आज हम आपको एक ऐसे इकलौते रेलवे स्टेशन के बारे में बताएंगे, जहां आजादी के 77 साल बाद भी ब्रिटेन की एक प्राइवेट कंपनी का अधिकार है। यहां भारत सरकार द्वारा लागू किए गए कोई भी नियम नहीं माना जाता।

शकुंतला रेलवे ट्रैक

दरअसल, इस ऐतिहासिक स्टेशन का नाम शकुंतला रेलवे ट्रैक है, जो आज भी ब्रिटिश कालीन व्यवस्था के अधीन है। यह महाराष्ट्र के अमरावती में मौजूद है। मीडिया सूत्रों के अनुसार, शकुंतला रेलवे ट्रैक लगभग 190 किलोमीटर लंबा है, जो कि अमरावती से मूर्तिजापुर तक फैला हुआ है। अंग्रेजन के शासनकाल में महाराष्ट्र के इन क्षेत्र में कपास की खेती की जाती थी, जिसे मुंबई पोर्ट तक पहुंचाने के लिए इस ट्रैक का निर्माण करवाया गया था। इस ट्रैक को जिस कंपनी ने बनाया उसका नाम क्लिक निक्सन एंड कंपनी था, जो कि ब्रिटेन की एक कंपनी थी।

बदलाव

इस ट्रैक पर चलने वाली ट्रेन को शकुंतला पैसेंजर कहां जाता था। पहले इस ट्रेन में केवल पांच डिब्बे होते थे और इसे स्टीम इंजन से चलाया जाता था, लेकिन आधुनिककिकरण का दौर आने के बाद 1994 के बाद इसकी बोगियां की संख्या बढ़कर 7 कर दी गई और इसमें डीजल इंजन लगाया गया। इस सफर तय करने में पूरे 6 से 7 घंटे लगते थे। इस दौरान यह कल 17 स्टेशनों पर रुकती हुई अपने गंतव्य तक पहुंचती थी।

किया गया था समझौता

आजादी के दौरान भारतीय रेलवे ने इस कंपनी के साथ समझौता किया। जिसके तहत, हर साल उसे रॉयल्टी का भुगतान किया जाता है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, हर साल करीब 1.20 करोड़ की रॉयल्टी ब्रिटेन स्थित कंपनी को दी जाती है। हालांकि, कई बार इंडियन रेलवे ने इस ट्रैक को खरीदने का प्रस्ताव दिया, लेकिन इस पर आज तक सहमति नहीं बन पाई है। साल 2020 में शकुंतला पैसेंजर का संचालन बंद कर दिया गया, जिसके पीछे काफी सारी वजह है जुड़ी है।


About Author
Sanjucta Pandit

Sanjucta Pandit

मैं संयुक्ता पंडित वर्ष 2022 से MP Breaking में बतौर सीनियर कंटेंट राइटर काम कर रही हूँ। डिप्लोमा इन मास कम्युनिकेशन और बीए की पढ़ाई करने के बाद से ही मुझे पत्रकार बनना था। जिसके लिए मैं लगातार मध्य प्रदेश की ऑनलाइन वेब साइट्स लाइव इंडिया, VIP News Channel, Khabar Bharat में काम किया है।पत्रकारिता लोकतंत्र का अघोषित चौथा स्तंभ माना जाता है। जिसका मुख्य काम है लोगों की बात को सरकार तक पहुंचाना। इसलिए मैं पिछले 5 सालों से इस क्षेत्र में कार्य कर रही हुं।

Other Latest News