4 राज्यों के चुनावी नतीजों पर मायावती ने उठाए सवाल, कहा- परिणाम गले से नीचे उतर पाना मुश्किल, 10 दिसंबर को बुलाई बैठक, हार पर होगा मंथन

Pooja Khodani
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Assembly Election 20223 :देश के 4 राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे आने और 3 राज्यों में भारी बहुमत से बीजेपी के जीतने के बाद देशभर से नेताओं की प्रतिक्रिया सामने आ रही है। एक तरफ बीजेपी जीत पर गदगद हो रही है और 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव की जीत की ग्यारंटी दे रही है वही दूसरी तरफ बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ और राजस्थान में नतीजे बीजेपी के फेवर में आने पर सवाल उठाए है।वही उन्होंने बसपा के कार्यकर्ताओं से लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट जाने की अपील की है। उन्होंने 10 दिसंबर को लखनऊ में होने वाली बसपा की बैठक की भी जानकारी दी है। इस बैठक में आगामी योजनाओं पर चर्चा की जाएगी।

परिणाम विचित्र, गले के नीचे उतार पाना मुश्किल

बसपा सुप्रीमो मायावती ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा है कि देश के चार राज्यों में अभी हाल ही में हुए विधानसभा आमचुनाव के आए परिणाम एक पार्टी के पक्ष में एकतरफा होने से सभी लोगों का शंकित, अचंभित व चिन्तित होना स्वाभाविक, क्योंकि चुनाव के पूरे माहौल को देखते हुए ऐसा विचित्र परिणाम लोगों के गले के नीचे उतर पाना बहुत मुश्किल। पूरे चुनाव के दौरान माहौल एकदम अलग व काँटे के संघर्ष जैसा दिलचस्प, किन्तु चुनाव परिणाम उससे बिल्कुल अलग होकर पूरी तरह से एकतरफा हो जाना, यह ऐसा रहस्यात्मक मामला है जिसपर गंभीर चिन्तिन व उसका समाधान जरूरी। लोगों की नब्ज पहचानने में भयंकर ’भूल-चूक’ चुनावी चर्चा का नया विषय।

10 को बुलाई बैठक, हार पर होगा मंथन, लोकसभा पर फोकस

मायावती ने आगे लिखा है कि बीएसपी के सभी लोगों ने पूरे तन, मन, धन व दमदारी के साथ यह चुनाव लड़ा, जिससे माहौल में नई जान आई, किन्तु उन्हें ऐसे अजूबे परिणाम से निराश कतई भी नहीं होना है बल्कि परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के जीवन संघर्षों से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ने का प्रयास करते रहना है। इस चुनावी परिणाम के संदर्भ में जमीनी रिपोर्ट लेकर आगे लोकसभा चुनाव की नए सिरे से तैयारी पर विचार-विमर्श के लिए पार्टी की आल इण्डिया की बैठक आगामी 10 दिसम्बर को लखनऊ में आहुत। चुनाव परिणाम से विचलित हुए बिना अम्बेडकरवादी मूवमेन्ट आगे बढ़ने का हिम्मत कभी भी नहीं हारेगा।

 


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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