CBSE : विवादों में सीबीएसई 10th का पेपर, प्रियंका ने किया ट्वीट

CBSE Board Exam 2024

नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड यानी सीबीएसई के 10th क्लास के इंग्लिश पेपर मे पूछे गए सवाल को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। सवाल में दिए गए पैसेज की लाइनों को महिला विरोधी बताया जा रहा है। इसे लेकर प्रियंका गांधी ने भी ट्वीट किया है।

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सीबीएसई की 10th क्लास के इंग्लिश पेपर में पैसेज पूछा गया है। तीन चरणों में विभाजित इस पैसेज में 8 बहुविकल्पीय सवाल दिए गए हैं। कहा जा रहा है कि इसमें महिला विरोधी लाइनें डाली गयी है। विवाद की वजह इन लाइनों को बताया जा रहा है जिनमें एक लाइन में कहा गया है कि “पत्नियों ने पतियों का कहना मानना बंद कर दिया है। यही मुख्य वजह है कि बच्चे और नौकर अनुशासन ही हो गए हैं” एक अन्य लाइन में कहा गया है कि “स्वतंत्र होती महिलाएं ही समाज की और परिवार की दिक्कतों का कारण है।”एक अन्य लाईन है” टीनएजर्स अपनी ही दुनिया में रहते हैं। बच्चे और नौकरों को उनकी जगह जरूर बतानी होगी।” एक अन्य लाइन में कहा गया है कि “बीसवी सदी में बच्चे कम हो गए जो नारीवादी विद्रोह का परिणाम है।”

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इन लाइनों को लेकर कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने सवाल खड़े किए हैं। ट्वीट में उन्होंने लिखा है कि “अविश्वसनीय! क्या हम वाकई बच्चों को यह बकवास सिखा रहे हैं? साफ तौर पर बीजेपी सरकार महिलाओं के खिलाफ इन विचारों का समर्थन करती है, नहीं तो वह इसे सीबीएसई पाठ्यक्रम में शामिल क्यों करते? ट्वीट के साथ प्रियंका ने विवादित पैसेज की तस्वीर भी साझा की है। सीबीएसई कक्षा 10 की टर्म 1 बोर्ड परीक्षा का अंग्रेजी का पेपर 11 दिसंबर को था। इस पेपर के साथ ही सीबीएसई की टर्म 1 की परीक्षा पूरी हो गई है। इसके परिणाम जल्द आएंगे।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।