सरकारी कर्मचारियों को मिल सकती है खुशखबरी, 15 साल की जगह 12 साल बाद मिलने लगेगी पूरी पेंशन!

11 मार्च 2025 को हुई SCOVA की बैठक में इस विषय को गंभीरता से उठाया गया। बैठक में वित्त विभाग ने बताया कि इस मुद्दे को अब 8वें वेतन आयोग के टर्म्स ऑफ रेफरेंस (ToR) में शामिल किया जा सकता है।

केंद्रीय कर्मचारियों के लिए ये एक अच्छी खबर हो सकती है हालाँकि अभी ये सिर्फ चर्चा है लेकिन यदि सरकार इसपर फैसला लेती है तो केंद्रीय कर्मचारियों को रिटायर होने के बाद बहुत बड़ा लाभ होने वाला है, ये खबर कर्मचारी के  रिटायर होने के बाद मिलने वाली कम्यूटेड पेंशन से जुड़ी है।

आठवां पेंशन आयोग (8th Pay Commission) कब से प्रभावी होगा कब से कर्मचारियों को इसके हिसाब से वेतन मिलेगा ये अभी तय नहीं है लेकिन इस बीच रिटायर केंद्रीय कर्मचारियों की एक पुरानी मांग फिर से चर्चा में आ गई है ये मांग है कम्यूटेड पेंशन में साल घटाने की।

कर्मचारी संगठन लंबे समय से मांग कर रहे हैं कि कम्यूटेड पेंशन की बहाली का समय 15 साल से घटाकर 12 साल कर दिया जाए जिससे रिटायर कर्मचारियों को इस महंगाई में राहत मिल जाएगी। हाल ही में SCOVA ( Standing Committee of Voluntary Agencies)  यानि स्वयंसेवी एजेंसियों की स्थायी समिति की 34वीं बैठक हुई इसमें भी अन्य चर्चाओं के बीच इस मांग पर प्रमुखता से फिर चर्चा की गई।

क्या होती है कम्यूटेड पेंशन 

जब कोई केंद्र सरकार का कर्मचारी रिटायर होता है तो उसे पेंशन मिलनी शुरू हो जाती है। सरकार उसे एक सुविधा देती है कि यदि वह चाहे तो पेंशन का एक बड़ा हिस्सा एकसाथ ले सकता है,  इसे कम्यूटेड पेंशन कहते हैं। यहां ये  ध्यान देने वाली बात है कि जो कर्मचारी एकमुश्त राशि लेता है बदले में उस कर्मचारी की मासिक पेंशन कुछ सालों के लिए कम कर दी जाती है। अभी जो नियम लागू है उसके हिसाब से यह कटौती 15 सालों तक जारी रहती है, उसके बाद कर्मचारी की पूरी पेंशन बहाल होती है यानि उसे पूरी पेंशन मिलना शुरू हो जाती है।

कर्मचारी यूनियनों का ये है तर्क 

कर्मचारी यूनियनों और कम्यूटेड पेंशन स्कीम में पेंशन ले रहे कर्मचारियों का कहना है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा ब्याज दरों को  घटाया जा रहा है, इसे देखते हुए अब 15 साल का पीरियड अनुचित है। उनका कहना है कि पांचवां वेतन आयोग और कई राज्य सरकारें पहले ही इस पीरियड को 12 साल तक सीमित करने की सिफारिश कर चुकी हैं। ऐसे में केंद्र सरकार से भी यही उम्मीद की जाती है कि वो कर्मचारी हित में ये फैसला ले।


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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