Chaitra Navratri 2023 Day 3 : चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। मां चंद्रघंटा का नाम उनके मुख्य लक्षणों से आता है, जो उनके मुख पर अर्धचन्द्राकार के आकार की दो चंद्रविन्यास होने के कारण होता है। मां चंद्रघंटा शांति और सौम्यता का प्रतिनिधित्व करती हैं। उन्हें अति कल्याणकारी और शांतिदायक माना जाता है। मां चंद्रघंटा की पूजा से शांति, सौम्यता, धैर्य और समृद्धि प्राप्त होती है।
पूजा के शुभ मुहूर्त
- ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 4 बजकर 47 मिनट से 05 बजकर 34 मिनट तक है।
- सर्वार्थ सिद्धि योग – सुबह 6 बजकर 21 मिनट से दोपहर 1 बजकर 22 मिनट तक है।
- अभिजित मुहूर्त- दोपहर 12 बजकर 03 मिनट से 12 बजकर 52 मिनट तक है।
- विजय मुहूर्त- दोपहर 2 बजकर 30 मिनट से 3 बजकर19 मिनट तक है।
जानें मां चंद्रघंटा की पूजन विधि
- सबसे पहले ध्यान रखें कि पूजा के लिए स्थान चुनें जो शुद्ध और साफ-सुथरा हो।
- एक पूजा स्थान तैयार करें जहाँ आप मां चंद्रघटा की मूर्ति रख सकते हैं। मां चंद्रघटा की मूर्ति को लाल रंग के वस्त्र और फूल से सजाएं।
- पूजा के लिए विभिन्न प्रकार के फल, मिठाई और पुष्प लेकर तैयार रखें।
- पूजा शुरू करने से पहले अपने मन को शुद्ध करें और आराधना के लिए अपने इष्ट देव का स्मरण करें।
- पूजा शुरू करने से पहले, स्थान पर गंगाजल या जल की एक थाली रखें और अपने हाथ धो लें।
- एक लोटा पानी में दूध, मिश्री, अखरोट, इलायची और सफ़ेद फूल डालें। इसे मां चंद्रघटा की पूजा के लिए उपयोग करें।
- मां चंद्रघटा की मूर्ति के सामने बैठें और उन्हें दिया, धूप और अरक्षित्र अर्पित करें। इसके बाद उन्हें पुष्प अर्पित करें।
- अब मां चंद्रघटा की मंत्र जपें। “या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघटारूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।” इस मंत्र को १०८ बार जपें।
- इसके बाद मां चंद्रघटा को फल, मिठाई, और पुष्पों से अर्पण करें।
- अंत में, पूजा समाप्त करने से पहले, मां चंद्रघटा को धूप दें और उन्हें नैवेद्य दें। फिर आशीर्वाद लें और पूजा समाप्त करें।
मां चंद्रघण्टा की कृपा पाने के उपाय
- मां चंद्रघण्टा के मन्त्र का जाप करें: “या देवी सर्वभूतेषु माँ चंद्रघण्टा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।”
- मां चंद्रघण्टा की पूजा और अर्चना करें। इसके लिए मां की मूर्ति, दीपक, धूप, फूल आदि की जरूरत होती है।
- मां चंद्रघण्टा के नौ रूपों के विवरण को समझें और उन्हें अपने जीवन में उतारें।
- मां चंद्रघण्टा के चालीसा का पाठ करें और उनकी कृपा के लिए प्रार्थना करें।
- मां चंद्रघण्टा के नामों का जाप करें और उनके लिए अर्पण करें।
- मां चंद्रघण्टा के व्रत का पालन करें और उनके प्रति विश्वास रखें।
- सदाचारी जीवन जियें, दूसरों की मदद करें और दान-धर्म का पालन करें।
मां चंद्रघण्टा की आरती
जय मां चंद्रघंटा सुख धाम
पूर्ण कीजो मेरे काम
चंद्र समान तू शीतल दाती
चंद्र तेज किरणों में समाती
क्रोध को शांत बनाने वाली
मीठे बोल सिखाने वाली
मन की मालक मन भाती हो
चंद्र घंटा तुम वरदाती हो
सुंदर भाव को लाने वाली
हर संकट मे बचाने वाली
हर बुधवार जो तुझे ध्याये
श्रद्धा सहित जो विनय सुनाय
मूर्ति चंद्र आकार बनाएं
सन्मुख घी की ज्योत जलाएं
शीश झुका कहे मन की बाता
पूर्ण आस करो जगदाता
कांची पुर स्थान तुम्हारा
करनाटिका में मान तुम्हारा
नाम तेरा रटू महारानी
‘भक्त’ की रक्षा करो भवानी
उनकी पूजा के दौरान, ध्यान एवं मन को शांत रखकर, मां चंद्रघटा की आराधना की जाती है। वे सर्वशक्तिमान होती हैं और समस्त संदेहों और व्याकुलताओं से हमें मुक्ति दिलाती हैं। इस दिन कुछ लोग नौवें दिन के व्रत को भी शुरू करते हैं, जिसे नवमी व्रत कहा जाता है। इस दिन नौ दुर्गा की मूर्तियों का स्थानांतरण भी किया जाता है, जिसे ‘विसर्जन’ कहते हैं।
(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं अलग-अलग जानकारियों पर आधारित हैं। MP Breaking News इनकी पुष्टि नहीं करता है।)