वाईएसआर कडप्पा जिले में तेलुगु देशम पार्टी (TDP) की वार्षिक महानाडु सभा के दौरान चंद्रबाबू नायडू ने बड़ा बयान देते हुए प्रधानमंत्री मोदी से अपील की कि देश को अब डिजिटल करेंसी की ओर पूरी तरह से बढ़ना चाहिए। इसके लिए जरूरी है कि 500 और 2000 रुपये के नोटों को पूरी तरह बंद कर दिया जाए। उन्होंने कहा कि इससे न केवल काले धन पर लगाम लगेगी, बल्कि चुनावी फंडिंग में भी पारदर्शिता बढ़ेगी।
दरअसल चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि वह पहले भी प्रधानमंत्री मोदी को डिजिटल करेंसी को लेकर रिपोर्ट सौंप चुके हैं और उसी समय उन्होंने सुझाव दिया था कि 500, 1000 और 2000 रुपये के नोटों को बंद किया जाना चाहिए। उनका मानना है कि डिजिटल भुगतान से न केवल ट्रांजैक्शन की निगरानी आसान होगी, बल्कि भ्रष्टाचार पर भी नियंत्रण संभव होगा।

डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने की ज़रूरत पर जोर
वहीं इसी दौरान उन्होंने कहा, “हमारी पार्टी यानी टीडीपी हमेशा से स्वच्छ राजनीति और पारदर्शिता की समर्थक रही है। अगर सभी राजनीतिक दान डिजिटल माध्यम से हों, तो फर्जी फंडिंग और नकद लेनदेन बंद हो सकते हैं। इससे राजनीति में साफ-सुथरा माहौल बनेगा।” चंद्रबाबू नायडू ने डिजिटल इंडिया की दिशा में उठाए गए कदमों की सराहना करते हुए कहा कि अब वक्त आ गया है जब भारत को पूरी तरह डिजिटल करेंसी की तरफ बढ़ना चाहिए। चंद्रबाबू नायडू का यह बयान उस वक्त आया है जब देश में एक बार फिर नकद लेनदेन और काले धन को लेकर बहस चल रही है। उन्होंने याद दिलाया कि नोटबंदी के समय उन्होंने सबसे पहले केंद्र से आग्रह किया था कि 500 और 1000 रुपये के नोट बंद किए जाएं। हालांकि तब 1000 रुपये के नोट बंद किए गए, लेकिन 500 रुपये के नोट जारी रहे और साथ में 2000 रुपये के नोट भी आ गए।
काले धन पर लगाम लगाने की रणनीति का हिस्सा यह सुझाव
दरअसल चंद्रबाबू नायडू का तर्क है कि बड़े नोटों की मौजूदगी ही काले धन को जन्म देती है, क्योंकि इन्हें छिपाना आसान होता है। उन्होंने कहा, “अब अगर हम डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देते हैं और हार्ड करेंसी का इस्तेमाल कम करते हैं, तो ट्रांजैक्शन ट्रेस करना आसान हो जाएगा। इससे सरकार को टैक्स चोरी रोकने में मदद मिलेगी और भ्रष्टाचार पर भी नियंत्रण होगा।” उनके मुताबिक, विश्व भर में कई देश डिजिटल करेंसी की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं, और भारत को भी इस दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए। उन्होंने कहा कि इस दिशा में यदि अब कोई बड़ा फैसला लिया जाए, तो आने वाले समय में भारत दुनिया की सबसे पारदर्शी अर्थव्यवस्था बन सकता है।