मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने शनिवार को केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण की 10वीं अखिल भारतीय सम्मेलन में प्रशासनिक अधिकरणों की कार्यप्रणाली पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि प्रशासनिक अधिकरण कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच एक अद्वितीय स्थान रखते हैं। मुख्य न्यायाधीश ने बताया कि इन अधिकरणों के कई सदस्य प्रशासनिक पृष्ठभूमि से आते हैं, जबकि कई अन्य के पास न्यायिक अनुभव होता है।
मुख्य न्यायाधीश गवई ने कहा, “प्रशासनिक अधिकरण न्यायालयों से भिन्न हैं, क्योंकि वे कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच एक विशेष स्थान रखते हैं। इनके सदस्यों में से कई प्रशासनिक सेवाओं से आते हैं, जबकि अन्य न्यायपालिका से होते हैं।” उन्होंने जोर दिया कि यह विविधता अधिकरणों की ताकत है, लेकिन प्रशासनिक पृष्ठभूमि वाले सदस्यों को कानूनी तर्क-वितर्क में प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि ऐसे सदस्य अक्सर सरकार के खिलाफ आदेश पारित करने में हिचकिचाते हैं।
प्रशासन और न्यायपालिका के बीच टकराव
मुख्य न्यायाधीश ने प्रशासन और न्यायपालिका के बीच टकराव को संबोधित करते हुए कहा कि न्यायिक शिक्षाविदों द्वारा आयोजित नियमित कार्यशालाएं, सम्मेलन और प्रशिक्षण कार्यक्रम अधिकरणों की प्रभावशीलता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं। उन्होंने कहा, “इन प्रशिक्षण कार्यक्रमों से अधिकरणों के कामकाज में काफी सुधार हो सकता है।”
कृत्रिम बुद्धिमत्ता और तकनीकी परिवर्तन
केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने सम्मेलन के उद्देश्य पर चर्चा करते हुए कहा कि इस मंच पर सीएटी के कार्यों और चुनौतियों, जैसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता और तकनीकी परिवर्तनों, पर विचार-विमर्श होगा। उन्होंने कहा, “यह सीएटी का 10वां सम्मेलन है। यहां हम चुनौतियों को अवसर में बदलने और उनके समाधान पर विचार करेंगे।” केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण की स्थापना 1 नवंबर 1985 को प्रशासनिक अधिकरण अधिनियम 1985 के तहत की गई थी, जो केंद्र, राज्यों और स्थानीय प्राधिकरणों से संबंधित भर्ती और सेवा शर्तों से जुड़े विवादों को संबोधित करता है।





