Congress allegation Vice President Jagdeep Dhankhar: उप राष्ट्रपति एवं राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करने वाली विपक्षी पार्टियों ने आज संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस की, मीडिया से बात करते हुए सभी पार्टियों ने एक स्वर में सभापति के कार्य व्यवहार पर सवाल उठाये, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बड़ा आरोप लगाते हुए कहा, सभापति की निष्ठा संविधान और संवैधानिक परंपराओं की जगह सत्ता पक्ष के लिए है। सभापति अपने अगले प्रमोशन के लिए सरकार के प्रवक्ता बनकर काम कर रहे हैं।
सभापति जगदीप धनखड़ पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए इंडिया ब्लाक की पार्टियों ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है, अभी ये सेकेट्री जनरल के पास है इसपर फैसला आना बाकी है, इससे पहले आज विपक्षी गठबंधन की पार्टियों ने प्रेस कांफ्रेंस की और ये कहा कि राज्यसभा के गठन के बाद भारत के इतिहास में ये पहला मौका है जब उप राष्ट्रपति यानि राज्यसभा के सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है, उनके व्यवहार के कारण हमारे पास इसके अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा था।
आज सदन में नियमों को छोड़कर राजनीति की जा रही है
कांग्रेस अध्यक्ष एवं राज्य सभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, भारत के उपराष्ट्रपति पद पर डॉ. राधाकृष्णन, डॉ. शंकर दयाल शर्मा, जस्टिस हिदायतुल्लाह, के. आर. नारायणन जी जैसे कई महान लोग बैठ चुके हैं और काम कर चुके हैं। 1952 से अब तक किसी उपराष्ट्रपति के खिलाफ संविधान के आर्टिकल 67 के अंतर्गत ‘Resolution for removal of vice president’ नहीं लाया गया। क्योंकि वे हमेशा निष्पक्ष रहे और पूरी तरह राजनीति से परे रहे। उन लोगों ने कभी राजनीति नहीं की और नियमों के तहत सदन चलाते रहे, लेकिन आज सदन में नियमों को छोड़कर राजनीति की जा रही है।
हमें अफसोस है कि आज चेयरमैन के द्वारा हो रहे पक्षपात के कारण ये प्रस्ताव आया
बाबासाहेब डॉ. अंबेडकर ने संविधान के ड्राफ्ट में ये साफ लिखा था- Vice-President of India shall be the ex-officio Chairman of the Council of States. भारत के पहले उपराष्ट्रपति और राज्य सभा के सभापति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने 16 मई 1952 को कहा था कि ‘मैं किसी भी पार्टी से नहीं हूं। मतलब, मैं हर पार्टी से जुड़ा हुआ हूं।’ लेकिन हमें अफसोस है कि आज चेयरमैन के द्वारा हो रहे पक्षपात ने विपक्षी पार्टियों को उनके खिलाफ ये प्रस्ताव लाने पर मजबूर कर दिया।
वे विपक्षी नेताओं पर आपत्तिजनक टिप्पणियां कर उन्हें अपमानित भी करते हैं
पिछले 3 वर्षों में उनका आचरण, उनके पद की गरिमा के विपरीत रहा है। कभी वे सरकार की तारीफ में कसीदे पढ़ने लगते हैं, तो कभी खुद को RSS का एकलव्य बताने लगते हैं।इस तरह की बयानबाजी उनके पद को शोभा नहीं देती। सभापति जी सदन के अंदर प्रतिपक्ष के नेताओं को विरोधियों की तरह देखते हैं। सीनियर-जूनियर कोई भी हो, वे विपक्षी नेताओं पर आपत्तिजनक टिप्पणियां कर उन्हें अपमानित भी करते हैं।
सभापति सदन में हेडमास्टर की तरह सदस्यों की स्कूलिंग करते हैं
सदन में लंबा अनुभव रखने वाले कई नेता हैं। सदन में जो सदस्य हैं, वे डॉक्टर, प्रोफेसर, पत्रकार समेत अनेक पेशे से जुड़े रहे हैं और कई सदस्य मंत्री भी रह चुके हैं। सभापति सदन में हेडमास्टर की तरह सदस्यों की स्कूलिंग करते हैं। उनको प्रवचन सुनाते हैं। यदि विपक्ष के सांसद सदन में 5 मिनट बोलते हैं, तो 10 मिनट खुद सभापति बोलते हैं।
सभापति की निष्ठा संविधान और संवैधानिक परंपराओं की जगह सत्ता पक्ष के लिए
सदन में विपक्ष के सांसदों को बोलने से रोका जाता है। सभापति की निष्ठा संविधान और संवैधानिक परंपराओं की जगह सत्ता पक्ष के लिए है। सभापति अपने अगले प्रमोशन के लिए सरकार के प्रवक्ता बनकर काम कर रहे हैं। मुझे यह कहते हुए संकोच नहीं है कि: ‘The biggest disruptor in Rajya Sabha is the Chairman himself’ – सदन अगर बाधित होता है तो उसके सबसे बड़े कारण सभापति हैं। सभापति दूसरों को सबक सिखाते हैं और स्वयं बार-बार व्यवधान उत्पन्न करते हैं। यह देखा जा सकता है कि सदन बंद करने की कोशिश सत्ता पक्ष और सभापति की ओर से ज्यादा होती है।
अगर खुद सभापति सत्ता पक्ष और प्रधानमंत्री का गुणगान कर रहे हों तो विपक्ष की कौन सुनेगा?
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, आमतौर पर विपक्ष चेयरमैन से प्रोटेक्शन मांगता है, वही विपक्ष के संरक्षक होते हैं। लेकिन अगर खुद सभापति सत्ता पक्ष और प्रधानमंत्री का गुणगान कर रहे हों तो विपक्ष की कौन सुनेगा? सभापति हमारी ओर ध्यान नहीं देते, लेकिन सत्ता पक्ष को बोलने के लिए इशारा करते हैं। जब विपक्ष सरकार से सवाल पूछता है, तो सभापति सत्ता पक्ष के जवाब देने से पहले ही उनकी ढाल बनकर खडे़ रहते हैं।
सभापति के आचरण ने देश की गरिमा को बहुत नुकसान पहुंचाया है
खड़गे ने कहा, सभापति के आचरण ने देश की गरिमा को बहुत नुकसान पहुंचाया है। उन्होंने देश के संसदीय इतिहास में ऐसी स्थिति ला दी है कि हमें उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाना पड़ा है। उनके साथ हमारी कोई निजी दुश्मनी या राजनीतिक द्वेष नहीं है। हमने बहुत सोच-समझकर, देश के संविधान और लोकतंत्र को बचाने के इरादे से मजबूरी में ये कदम उठाया है।
विपक्ष के नेता कुछ भी कहना चाहें, तो आदेश जारी हो जाता है Nothing will go on record
टीएमसी के राज्यसभा सांसद मोहम्मद नदीमुल हक ने कहा, राज्य सभा के चेयरमैन का विपक्ष के प्रति व्यवहार ठीक नहीं है। सत्ता पक्ष को बोलने का पूरा मौका दिया जाता है, लेकिन हमें बोलने का मौका मिलते ही सदन स्थगित कर दिया जाता है। ये व्यवहार पूरी तरह से पक्षपात को दर्शाता है। समाजवादी पार्टी के सांसद जावेद अली खान ने कहा
राज्य सभा के अंदर विपक्ष की मौजूदगी को सभापति जी ने पूरी तरह से नकार दिया है। ‘Nothing will go on record’ – ये वाक्य मैंने जितना इस सदन में सुना है, उतना पहले कभी नहीं सुना। विपक्ष के नेता कुछ भी कहना चाहें, तो आदेश जारी हो जाता है- ‘Nothing will go on record’. इसलिए हमें मजबूरी में उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाना पड़ रहा है।
सदन में लंबा अनुभव रखने वाले कई नेता हैं। सदन में जो सदस्य हैं, वे डॉक्टर, प्रोफेसर, पत्रकार समेत अनेक पेशे से जुड़े रहे हैं और कई सदस्य मंत्री भी रह चुके हैं।
• सभापति सदन में हेडमास्टर की तरह सदस्यों की स्कूलिंग करते हैं। उनको प्रवचन सुनाते हैं।
• यदि विपक्ष के सांसद… pic.twitter.com/7bRTofYqtJ
— Congress (@INCIndia) December 11, 2024
आमतौर पर विपक्ष चेयरमैन से प्रोटेक्शन मांगता है, वही विपक्ष के संरक्षक होते हैं।
लेकिन अगर खुद सभापति सत्ता पक्ष और प्रधानमंत्री का गुणगान कर रहे हों तो विपक्ष की कौन सुनेगा? सभापति हमारी ओर ध्यान नहीं देते, लेकिन सत्ता पक्ष को बोलने के लिए इशारा करते हैं।
जब विपक्ष सरकार से… pic.twitter.com/uxSWabFUfG
— Congress (@INCIndia) December 11, 2024