भारत में इजरायल के राजदूत रूवेन अजार ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा की आलोचना की थी। प्रियंका ने गाज़ा में इजरायल की कार्रवाई को नरसंहार बताया था, जिस पर राजदूत ने कड़ा जवाब दिया। इस टिप्पणी को कांग्रेस ने “आपत्तिजनक” और “अराजनयिक” करार देते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी है।
आनंद शर्मा का बयान
पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X पर लिखा कि “गाज़ा में मानवीय संकट को नकारना और 60,000 से अधिक निहत्थे लोगों खासकर बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों की निर्मम हत्या को सही ठहराना कड़ी निंदा के योग्य है।” उन्होंने कहा कि स्कूलों और अस्पतालों पर हमले, भूखमरी पैदा करना और नागरिकों को निशाना बनाना, ये सभी “मानवता के खिलाफ अपराध” हैं।
पवन खेड़ा का हमला
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने सवाल उठाया कि “क्या भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता अब तेल अवीव से नियंत्रित हो रही है? दुनियाभर में नरसंहार के आरोपी देश का राजदूत किसी मौजूदा सांसद को निशाना बनाए, यह भारतीय लोकतंत्र की गरिमा का अपमान है।” खेड़ा ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मांग की कि वे इजरायली राजदूत की इस टिप्पणी पर प्रतिक्रिया दें और स्पष्ट करें कि क्या भारत की नीति पर किसी विदेशी राजदूत का प्रभाव स्वीकार्य है। उन्होंने राजदूत को टैग करते हुए गाज़ा में नागरिकों की हत्या की आलोचना की, जिसमें कतार में खड़े लोगों पर भी हमला शामिल था।
जयराम रमेश का समर्थन
इससे पहले 12 जुलाई 2025 को कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने भी इजरायली राजदूत की प्रियंका गांधी पर की गई टिप्पणी की निंदा की थी। उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह गाज़ा में इजरायल की कार्रवाई पर “शांत” बनी हुई है। रमेश ने कहा कि भारत सरकार को इस मामले पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करनी चाहिए।
गाज़ा में संकट और भारत की स्थिति
गाज़ा में चल रहे संघर्ष में भारी पैमाने पर नागरिक हताहत हुए हैं, जिसे संयुक्त राष्ट्र और कई मानवाधिकार संगठनों ने गंभीर मानवीय संकट बताया है। प्रियंका गांधी और अन्य विपक्षी नेता लगातार भारत सरकार से मांग कर रहे हैं कि वह इस मुद्दे पर स्पष्ट और नैतिक रुख अपनाए।
राजनीतिक और कूटनीतिक असर
यह विवाद अब केवल गाज़ा के मुद्दे तक सीमित नहीं रहा, बल्कि भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और विदेश नीति पर भी बहस छेड़ चुका है। कांग्रेस का कहना है कि किसी विदेशी राजनयिक का किसी भारतीय सांसद पर इस तरह हमला करना न केवल अनुचित है, बल्कि यह भारत की लोकतांत्रिक गरिमा का भी उल्लंघन है।





