कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भारतीय न्यायिक प्रणाली के दुरुपयोग की आलोचना की, जिसमें उन्होंने जोर देकर कहा कि निराधार और राजनीतिक रूप से प्रेरित मामलों के कारण न्यायिक व्यवस्था पर अत्यधिक बोझ पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में प्रक्रिया ही सजा बन जाती है। थरूर ने यह टिप्पणी तब की, जब सुप्रीम कोर्ट ने एक भाजपा नेता को उनके खिलाफ दायर मानहानि के मुकदमे को वापस लेने पर विचार करने के लिए कहा। यह मामला थरूर द्वारा एक किताब में किए गए उल्लेख से जुड़ा था, जिसमें 2011 के एक लेख का हवाला दिया गया था जो आरएसएस के एक व्यक्ति के बयान को उद्धृत करता था।
मुंबई में मीडियाकर्मियों से बात करते हुए थरूर ने कहा, “हमारी प्रणाली में समस्या यह है कि बहुत सारे निराधार मामले चलने दिए जाते हैं और फिर प्रक्रिया ही सजा बन जाती है। क्या न्यायपालिका का समय महत्वपूर्ण मामलों पर खर्च हो रहा है या हमारे कई जज निराधार और अक्सर राजनीतिक उद्देश्यों से दायर मामलों पर महत्वपूर्ण समय बर्बाद कर रहे हैं?” उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका इरादा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या किसी अन्य व्यक्ति को निशाना बनाने का नहीं था। उन्होंने बताया कि उन्होंने अपनी किताब में 2011 में प्रकाशित एक लेख का हवाला दिया था, जिसमें आरएसएस के एक व्यक्ति का बयान उद्धृत था जो बाद में भाजपा में शामिल होकर पूर्वी उत्तर प्रदेश में पार्टी के प्रभारी बने।
मानहानि का मामला 6 साल बाद दायर
शशि थरूर ने बताया कि उनके खिलाफ यह मानहानि का मामला छह साल बाद दायर किया गया था। उन्होंने कहा, “मैंने केवल एक उद्धरण को उद्धृत किया था। इसलिए यह आश्चर्यजनक नहीं था कि कोर्ट ने मामले को वापस लेने के लिए कहा।” थरूर ने इस बात पर जोर दिया कि इस तरह के मामले न्यायिक संसाधनों का दुरुपयोग करते हैं और प्रणाली को और अधिक प्रभावी बनाने की आवश्यकता है।
अर्थव्यवस्था को मृत बताने पर प्रतिक्रिया
इसके अलावा, थरूर ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत की अर्थव्यवस्था को मृत बताने वाले बयान का समर्थन करने पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, “मैं अपने पार्टी नेता के बयान पर टिप्पणी नहीं करना चाहता। उनके पास ऐसा कहने के अपने कारण होंगे। मेरी चिंता यह है कि अमेरिका के साथ हमारा रणनीतिक और आर्थिक साझेदारी महत्वपूर्ण है। हम अमेरिका को लगभग 90 अरब डॉलर के सामान निर्यात करते हैं और हमें इस स्थिति को खोने या इसे कमजोर होने देने की स्थिति में नहीं होना चाहिए।”





