केरल के कांग्रेस सांसदों ने प्रियंका गांधी वाड्रा के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ में दो ननों की गिरफ्तारी के खिलाफ संसद परिसर में प्रदर्शन किया। ननों पर मानव तस्करी और जबरन धर्मांतरण के आरोप हैं। इस प्रदर्शन में वरिष्ठ कांग्रेस नेता शशि थरूर शामिल नहीं थे, जबकि वह कल इसी मुद्दे पर हुए प्रदर्शन का हिस्सा थे। उनकी अनुपस्थिति ने तब चर्चा बटोरी, जब उनके और कांग्रेस नेतृत्व के बीच पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर उनकी टिप्पणियों को लेकर तनाव की खबरें सामने आईं।
कल के प्रदर्शन में थरूर ने इंडिया फॉर ऑल, प्राउड टू बी वन का प्लेकार्ड थामते हुए कहा था कि नन निर्दोष हैं और उन्हें रिहा करना चाहिए। आज प्रियंका गांधी ने कहा कि ननों पर झूठे आरोप लगाए गए और छत्तीसगढ़ पुलिस ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया। उन्होंने अल्पसंख्यकों पर हमलों के खिलाफ आवाज उठाई। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, थरूर ने ऑपरेशन सिंदूर पर बहस में पार्टी लाइन का पालन करने से इनकार कर दिया था जिसके बाद पार्टी और उनके बीच तनाव बढ़ा।
केरल की कैथोलिक ननों को गिरफ्तारी
छत्तीसगढ़ के दुर्ग स्टेशन पर पिछले हफ्ते दो केरल की कैथोलिक ननों को गिरफ्तारी हुई। बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि वे तीन नाबालिग आदिवासी लड़कियों को नौकरी और शिक्षा का लालच देकर तस्करी कर रही थीं। उन पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 143 और छत्तीसगढ़ धर्म स्वतंत्रता अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया। इस घटना ने बड़ा विवाद खड़ा कर दिया जिसमें कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने छत्तीसगढ़ की बीजेपी सरकार पर अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने का आरोप लगाया।
धार्मिक स्वतंत्रता संवैधानिक अधिकार
विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा कि धार्मिक स्वतंत्रता संवैधानिक अधिकार है और ननों को तुरंत रिहा करना चाहिए। केरल बीजेपी ने भी ननों के पक्ष में बयान दिया, जिसमें प्रदेश अध्यक्ष राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि वे निर्दोष हैं और उनकी रिहाई के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। वहीं, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने गिरफ्तारी का बचाव करते हुए कहा कि वे बस्तर की बेटियों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं और विपक्ष इस मुद्दे का राजनीतिकरण कर रहा है।





