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Thu, Dec 18, 2025

GST में सुधार अच्छा कदम, लेकिन अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए काफी नहीं, पी चिदंबरम ऐसा क्यों बोले

Written by:Mini Pandey
Published:
पूर्व वित्त मंत्री ने जीएसटी नियमों के लागू करने के तरीके की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि जीएसटी कानूनों का प्रशासन भयावह है और छोटे व्यापारियों को परेशान करने वाला है।
GST में सुधार अच्छा कदम, लेकिन अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए काफी नहीं, पी चिदंबरम ऐसा क्यों बोले

पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने हाल ही में किए गए जीएसटी सुधारों को एक आवश्यक कदम, लेकिन अपर्याप्त बताते हुए कहा कि यह अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए काफी नहीं है। इंडिया टुडे टीवी को दिए साक्षात्कार में उन्होंने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा घोषित दो-स्लैब संरचना का स्वागत किया, लेकिन जोर दिया कि जीएसटी कानूनों को और सरल करना जरूरी है। चिदंबरम ने कहा कि कांग्रेस पिछले आठ वर्षों से जीएसटी को अच्छा और सरल कर बनाने की वकालत करती रही है और अब सीतारमण भी इस विचार से सहमत दिख रही हैं।

चिदंबरम ने कहा कि नई जीएसटी दरें कमजोर खपत को कुछ हद तक संतुलित कर सकती हैं और डोनाल्ड ट्रंप की व्यापार नीतियों से जुड़े टैरिफ के प्रभाव को आंशिक रूप से कम कर सकती हैं। हालांकि, उन्होंने चेतावनी दी कि खपत और निवेश को बढ़ाने के लिए और गहरे सुधारों की जरूरत है। उन्होंने जीएसटी कानूनों की जटिलता पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह प्रशासन के लिए बोझिल और अनुपालन के लिए कठिन है, जिसके कारण छोटे व्यापारियों को पेशेवर सहायता लेनी पड़ती है।

लागू करने के तरीके की आलोचना

पूर्व वित्त मंत्री ने जीएसटी नियमों के लागू करने के तरीके की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि जीएसटी कानूनों का प्रशासन भयावह है और छोटे व्यापारियों को परेशान करने वाला है। चिदंबरम ने इसे प्रवर्तन निदेशालय की ओर से पीएमएलए कानून के प्रशासन के समान बताया। उन्होंने सुझाव दिया कि जीएसटी को व्यापारी और विक्रेता-अनुकूल बनाना चाहिए, न कि लोगों को जेल की धमकी देने वाला। कर उल्लंघन के मामले में सिविल दंड लागू करना चाहिए, न कि जेल की सजा।

जीएसटी 2.0 सही दिशा में एक कदम

पी चिदंबरम ने माना कि जीएसटी 2.0 सही दिशा में एक कदम है, लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि जब तक अनुपालन को आसान और प्रशासन को निष्पक्ष नहीं बनाया जाता, तब तक ये सुधार मांग, निवेश और विकास को बढ़ाने के अपने वादे को पूरी तरह से पूरा नहीं कर पाएंगे।