कांग्रेस पार्टी ने नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन को बधाई दी है। साथ ही, उन्हें प्रथम उपराष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के 1952 में राज्यसभा में दिए गए उस बयान की याद दिलाई, जिसमें उन्होंने कहा था कि लोकतंत्र तब अधिनायकवाद में बदल सकता है, अगर विपक्ष को सरकार की नीतियों की स्वतंत्र, निष्पक्ष और स्पष्ट आलोचना करने की अनुमति न दी जाए। कांग्रेस ने राधाकृष्णन के इन शब्दों को उद्धृत करते हुए जोर दिया कि उन्होंने अपने कथन को पूरी तरह से अमल में लाया था।
कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि सीपी राधाकृष्णन, जो अब उपराष्ट्रपति के साथ-साथ राज्यसभा के सभापति भी होंगे, को बधाई देते हुए पार्टी डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के शब्दों को याद करती है। रमेश ने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि 16 मई 1952 को राज्यसभा के उद्घाटन सत्र में डॉ. राधाकृष्णन ने निष्पक्षता और सभी दलों के प्रति समान व्यवहार का वादा किया था, जिसे उन्होंने अपने कार्यकाल में निभाया।
सीपी राधाकृष्णन को 452 वोट मिले
उपराष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन ने 452 वोट हासिल कर विपक्ष के उम्मीदवार बी. सुधर्शन रेड्डी को हराया, जिन्हें 300 वोट मिले। कांग्रेस ने इस जीत को भाजपा की संख्यात्मक जीत करार देते हुए इसे उनकी नैतिक और राजनीतिक हार बताया। पार्टी ने दावा किया कि विपक्ष इस चुनाव में एकजुट रहा और उसने सम्मानजनक प्रदर्शन किया, जिसमें रेड्डी ने 40% वोट हासिल किए, जो 2022 के उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के 26% वोट से बेहतर है।
हार को विनम्रता से स्वीकार किया
चुनाव परिणाम की घोषणा के बाद विपक्षी उम्मीदवार रेड्डी ने हार को विनम्रता से स्वीकार करते हुए कहा कि लोकतंत्र केवल जीत से नहीं, बल्कि संवाद, असहमति और भागीदारी की भावना से मजबूत होता है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी राधाकृष्णन को बधाई दी और रेड्डी के सैद्धांतिक संघर्ष के लिए उनकी सराहना की।





