खाली प्लॉट में रिश्वत की रकम फेंकते अधिकारी का वीडियो आया सामने, किया गया गिरफ़्तार

खास बात ये है कि रिश्वत लेने के आरोप में पकड़ा गया आरोपी नरेंद्र सिंह की शादी की सालगिरह भी थी। परिजनों ने सुबह ही सोशल मीडिया पर उसे शुभकामनाएं दी थीं, लेकिन कुछ घंटों में ही वो रिश्वतखोरी के आरोप में गिरफ्तार हो गया और खुशियाँ चकनाचूर हो गई।

राजस्थान के झुंझुनूं से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसका वीडियो जमकर वायरल हो रहा है, वीडियो में एक व्यक्ति भागते हुए दिखाई दे रहा है और कुछ लोग उसके पीछे दौड़ रहे हैं, अचानक आगे दौड़ रहा व्यक्ति हाथ से कुछ चीज एक खाली प्लॉट में फेंक देता है लेकिन कुछ दूर जाकर पीछा कर रहे लोग उसे पकड़ लेते हैं।

अभी आपको समझ नहीं आया होगा कि ये माजरा क्या है, दरअसल ये पूरा मामला रिश्वतखोरी से जुड़ा है जो व्यक्ति भाग रहा था उसने रिश्वत ली थी और उसे ऐसा करते एसीबी पकड़ने वाली थी तभी उसने दौड़ लगा दिया और हाथ में आई नोटों की गड्डी को खाली प्लॉट में फेंक दिया जिसे बाद में एसीबी ने बरामद कर लिया।

झुंझुनूं जिले के चिड़ावा कस्बे में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की टीम ने अजमेर विद्युत वितरण निगम के सहायक अभियन्ता (एईएन) आजाद सिंह अहलावत और सहायक प्रशासनिक अधिकारी (एएओ) नरेंद्र सिंह को 30000 रुपए की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया है।

30 हजार रुपए की रिश्वत मांगी थी

एसीबी के एएसपी इस्माइल खान ने बताया कि अजमेर डिस्कॉम के एईएन और एएओ ने प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना की फाइल अप्रूव करवाने के बदले 30 हजार रुपए की रिश्वत मांगी थी। शिकायत की जाँच के बाद ट्रैप प्लान की गई और  जैसे ही रिश्वत की रकम आरोपी को सौंपी गई, एसीबी टीम ने दबिश दी तो वहां एक फ़िल्मी सीन क्रियेट हो गया।

गिड़गिड़ाकर बोला- मुझे तो 5000 भी नहीं मिलने थे

एएसपी ने बताया कि पकड़े जाने पर नरेंद्र सिंह एसीबी टीम के सामने गिड़गिड़ाने लगा, उसने कहा मुझे तो इसमें से 5,000 भी नहीं मिलने थे, मुझे क्यों पकड़ रहे हो, लेकिन एसीबी ने उसकी बात नहीं सुनी। बाद में उसे थाने लाकर आगे की पूछताछ शुरू की गई।  इस कार्रवाई के बाद दोनों आरोपियों के घरों पर भी सर्च किया गया। सर्च ऑपरेशन लगभग ढाई घंटे चला।


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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