UP News : करप्शन की इन्तेहा,उद्घाटन के लिए नारियल पटकते ही टूट गई नवनिर्मित सड़क

Gaurav Sharma
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लखनऊ, डेस्क रिपोर्ट। उत्तर प्रदेश में सड़क निर्माण में भ्रष्टाचार का अनोखा मामला सामने आया है। उद्घाटन के लिए नारियल पटकते ही नई बनी हुई सड़क टूट गई। इसके बाद बीजेपी विधायक ने सड़क बनाने वाले विभाग के खिलाफ बैठ कर धरना दिया।

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उत्तर प्रदेश के बिजनौर जनपद में हल्दौर से नवादा तुल्ला गांव की ओर सिंचाई विभाग सात किलोमीटर लंबी सड़क बना रहा है। यह सड़क एक करोड़ 1.16 करोङ रुपए की लागत से बन रही है। इसमें से अभी 700 मीटर सड़क ही बन पाई थी कि सिंचाई विभाग ने इसका उद्घाटन करने के लिए सदर क्षेत्र की विधायक सुचि मौसम चौधरी को बुला लिया। विधिवत पूजा शुरू हुई और पूजा समाप्त होने के बाद पंडित जी ने विधायक जी को नारियल सड़क पर फोड़ने को कहा। विधायक जी ने जैसे ही नारियल सड़क पर पटका, नारियल तो नहीं टूटा, सड़क जरूर टूट गई और बजरी इधर-उधर बिखर गई। इस घटनाक्रम से विधायक काफी नाराज हुई और धरने पर बैठ गयी।

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विधायक ने कलेक्टर उमेश मिश्रा को फोन लगाया और कलेक्टर ने वहां पर पीडब्ल्यूडी की टीम भेजी। पीडब्ल्यूडी की टीम ने तुरंत सड़क का सैंपल लिया और उसे खोज कर अपने साथ ले गए। अब इसकी लैब में जांच की जाएगी कि इसमें किस क्वालिटी का सामान प्रयोग किया गया। अधिकारियों पर सरकार की छवि खराब करने का आरोप लगाते हुए विधायक सुचि मौसम चौधरी ने कहा कि वे इसकी शिकायत मंत्री और मुख्यमंत्री से करेंगी और सरकार की छवि को दागदार करने की किसी भी कोशिश को सफल नहीं होने दिया जाएगा।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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