दिल्ली की बहुचर्चित बारापुला फेज-3 एलिवेटेड कॉरिडोर परियोजना अब विवादों में घिर गई है। परियोजना में ठेकेदार को किए गए 175 करोड़ रुपये के भुगतान और अन्य अनियमितताओं को लेकर दिल्ली सरकार ने सतर्कता जांच (Vigilance Inquiry) के आदेश दिए हैं। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और लोक निर्माण मंत्री प्रवेश वर्मा की अध्यक्षता में हुई व्यय वित्त समिति (EFC) की बैठक में यह फैसला लिया गया। जांच का जिम्मा भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (ACB) को सौंपा गया है।
परियोजना में अनियमितता की आशंका, जांच का जिम्मा ACB को
बारापुला फेज-3 परियोजना दिल्ली में यातायात सुगम बनाने की एक बड़ी योजना रही है, लेकिन इसमें ठेकेदार को दिए गए 175 करोड़ रुपये के भुगतान पर सवाल उठाए गए हैं। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने बैठक के बाद बताया कि सरकारी धन के दुरुपयोग की आशंका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, इसलिए निष्पक्ष और गहराई से जांच जरूरी है। इसी के चलते यह मामला अब भ्रष्टाचार निरोधक शाखा को सौंपा गया है।
आम आदमी पार्टी का BJP पर हमला
इस जांच के ऐलान के बाद आम आदमी पार्टी ने भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोला है। आप ने आरोप लगाया कि सत्ता में आने के छह महीने बाद भी भाजपा अपने वादे निभाने में नाकाम रही है और अब अपनी विफलताओं से ध्यान भटकाने के लिए राजनीतिक प्रतिशोध की नीति अपना रही है। पार्टी ने कहा, BJP विकास के मुद्दों से भटककर विपक्ष को दबाने की कोशिश कर रही है। AAP का कहना है कि यह जांच एक “राजनीतिक ड्रामा” है और केवल विरोधियों को फंसाने की साजिश है। पार्टी ने सरकार से पूछा कि यदि कोई गड़बड़ी थी, तो पहले कार्रवाई क्यों नहीं की गई?
BJP का पक्ष – जनता के पैसे की सुरक्षा जरूरी
दूसरी ओर, दिल्ली सरकार का कहना है कि जनता के टैक्स से चलने वाली परियोजनाओं में पारदर्शिता जरूरी है। सरकारी बयान में कहा गया, 175 करोड़ रुपये की बड़ी राशि का भुगतान बिना स्पष्ट ऑडिट और मंजूरी के किया गया है, जिसकी जांच अनिवार्य है। सरकार का तर्क है कि कोई भी राजनीतिक मंशा इसमें शामिल नहीं है, बल्कि यह कदम प्रशासनिक जवाबदेही को सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।
राजनीतिक माहौल गरमाया, जांच बनी सियासत का मुद्दा
बारापुला फेज-3 परियोजना की जांच अब राजधानी की राजनीति में नया बवाल बन चुकी है। एक ओर जहां सरकार इसे पारदर्शिता और जवाबदेही की दिशा में उठाया गया कदम बता रही है, वहीं विपक्ष इसे राजनीतिक हथियार बता रहा है। जांच के आदेश ने यह भी साफ कर दिया है कि आने वाले समय में दिल्ली की राजनीति में प्रशासनिक फैसले और राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप और तेज़ होंगे।





