दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने दो सप्ताह बाद एक बार फिर जनता से मुलाकात का सिलसिला शुरू किया—पर इसबार सुरक्षा इंतजाम पहले से कहीं ज़्यादा मजबूत थे। 20 अगस्त को जन सुनवाई के दौरान एक व्यक्ति (राजेश साकारिया, राजकोट से) द्वारा मुख्यमंत्री पर अचानक हमला किया गया था। इसके बाद कार्यक्रम को रोक दिया गया था। अब, 3 सितंबर की सुबह 8 बजे इस सुनवाई को फिर से सिविल लाइन स्थित कैंप ऑफिस में आयोजित किया गया।
इस दौरान सुरक्षा इंतजाम सख्त इंतजाम रखे गए हैं, जिसमें चेहरा पहचान प्रणाली लगी वैन द्वारा हर आने वाले व्यक्ति की पहचान की गई। सादे कपड़ों में पुलिसकर्मी और महिला सुरक्षा कर्मी सीएम के आसपास और भीड़ में सक्रिय रहे। मेटल डिटेक्टर से तलाशी व CCTV मॉनिटरिंग भी की गई ताकि कोई चूक न हो सके। एक सुरक्षा घेरे (inner cordon) में CRPF कमांडो तैनात थे, जबकि बाहरी सुरक्षा के लिए 10 पुलिसकर्मी मौजूद थे।
जनता फिर से सीधे पहुंची
रुक-रुक कर लोगों ने अपनी शिकायत सीएम के पास पहुंचाई—कुछ अपाहिज युवाओं ने सरकारी नौकरी की गुहार लगाई, तो कुछ बुजुर्गों ने पेंशन समेत अन्य सुविधा की मांग की। रेखा गुप्ता ने हर फरियादी को ध्यान से सुना और संबोधित किया। हमले की जांच के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उनकी सुरक्षा बढ़ाकर ‘Z-Category’ कर दी थी, जिसमें CRPF जवानों ने सुरक्षा के आंतरिक घेरे की कमान संभाली।
समभावित जोखिम दलित
गोली, चप्पल, खून जैसी कई घटनाओं की भूमिका रही—यह हमला संकेत है कि सार्वजनिक कार्यक्रमों में सुरक्षा व्यवस्था में कभी भी चूक घातक हो सकती है। इस घटना ने राजनीतिक सुरक्षा संरचनाओं पर नए सिरे से सवाल खड़े किए हैं। सीएम रेखा गुप्ता ने पत्रकारों से कहा—“जनता से संवाद ही मुझे ऊर्जा देता है। यह काम रुका नहीं रह सकता।” उनके साहसपूर्ण कदम से स्पष्ट होता है कि चाहे कोई हादसा हो, लोकतांत्रिक संवाद और प्रत्याशी दृष्टिकोण बहाल रखने का संकल्प अडिग रहना चाहिए।





