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Sat, Dec 20, 2025

कैबिनेट पैनल मराठा आरक्षण पर कर रहा चर्चा, संवैधानिक रूप से निकाला जाएगा समाधान; सीएम फडणवीस का बड़ा ऐलान

Written by:Mini Pandey
Published:
मनोज जरांगे ने मांग की है कि सभी मराठाओं को कुंबी के रूप में मान्यता दी जाए, जो ओबीसी श्रेणी में शामिल एक कृषक जाति है, ताकि उन्हें सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण मिल सके।
कैबिनेट पैनल मराठा आरक्षण पर कर रहा चर्चा, संवैधानिक रूप से निकाला जाएगा समाधान; सीएम फडणवीस का बड़ा ऐलान

मराठा आरक्षण की मांग को लेकर कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने शुक्रवार को मुंबई में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू की। इस पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि मराठा आरक्षण के मुद्दे पर कैबिनेट उप-समिति जरांगे की मांगों पर चर्चा कर रही है और संवैधानिक ढांचे के भीतर समाधान निकाला जाएगा। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार मराठा और ओबीसी समुदायों के बीच टकराव पैदा किए बिना इस मुद्दे को हल करने के लिए प्रतिबद्ध है।

मनोज जरांगे को दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में केवल एक दिन के लिए विरोध प्रदर्शन की अनुमति दी गई है, लेकिन उन्होंने इसे जारी रखने के लिए नई अनुमति मांगी है जिस पर पुलिस सकारात्मक विचार कर रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार बॉम्बे हाई कोर्ट के निर्देशों का पालन कर रही है और इसके आदेशों का सम्मान करेगी।

नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण

जरांगे ने मांग की है कि सभी मराठाओं को कुंबी के रूप में मान्यता दी जाए, जो ओबीसी श्रेणी में शामिल एक कृषक जाति है, ताकि उन्हें सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण मिल सके। हालांकि, मौजूदा ओबीसी समुदाय इस मांग का विरोध कर रहे हैं। सीएम फडणवीस ने जोर देकर कहा कि उनकी सरकार मराठा और ओबीसी समुदायों को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा करने के पक्ष में नहीं है और किसी भी समुदाय के साथ अन्याय नहीं होने देगी।

मराठा समुदाय के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण

देवेंद्र फडणवीस ने दावा किया कि पिछले दस वर्षों में उनकी सरकार ने मराठा समुदाय के कल्याण के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जो पहले किसी भी सरकार ने नहीं किए। उन्होंने कहा कि पिछले साल लागू किया गया मराठा समुदाय के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण कानूनी रूप से वैध है। मुख्यमंत्री ने विपक्षी दलों पर इस मुद्दे को राजनीतिक रंग देकर मराठा और ओबीसी समुदायों के बीच तनाव बढ़ाने की कोशिश करने का आरोप लगाया। उन्होंने अपील की कि इस मुद्दे को राजनीतिक न बनाया जाए और सामाजिक एकता को बनाए रखा जाए।