महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने गुरुवार को आश्वासन दिया कि मराठा आरक्षण के फैसले से अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को कोई अन्याय नहीं होगा। यह बयान कार्यकर्ता मनोज जरांगे के आंदोलन के बाद आया है, जिन्होंने मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग की थी। फडणवीस ने स्पष्ट किया कि सरकार ने एक समिति गठित की है जो ऐतिहासिक साक्ष्यों के आधार पर मराठा समुदाय के उन सदस्यों को कुणबी जाति प्रमाणपत्र जारी करेगी, जिनका कुणबी वंश से संबंध है, जो राज्य में ओबीसी के रूप में वर्गीकृत है।
फडणवीस ने कहा कि मराठा आरक्षण से संबंधित सरकारी प्रस्ताव (जीआर) से ओबीसी कोटे पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने बताया कि केवल उन मराठाओं को कुणबी जाति प्रमाणपत्र दिए जाएंगे, जिनके पास कुणबी वंशज होने का वैध प्रमाण होगा, न कि सभी मराठाओं को। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि उन्होंने इस मुद्दे पर अपने कैबिनेट सहयोगी और वरिष्ठ एनसीपी नेता छगन भुजबल से बात की है, जो इस जीआर को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं।
जाति प्रमाणपत्र देने की प्रक्रिया तेज
भुजबल ने बुधवार को मराठा समुदाय के लिए कुनबी जाति प्रमाणपत्र देने की प्रक्रिया को तेज करने वाले जीआर पर असंतोष व्यक्त किया था। फडणवीस ने आश्वासन दिया कि भुजबल को समझा लिया जाएगा और उन्हें यह विश्वास दिलाया जाएगा कि ओबीसी के हितों पर कोई आंच नहीं आएगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार का यह कदम पूरी तरह से पारदर्शी और ऐतिहासिक साक्ष्यों पर आधारित होगा।
आजाद मैदान में 5 दिनों तक आंदोलन
यह खबर 4 सितंबर 2025 को प्रकाशित हुई, जब जरांगे ने मुंबई के आजाद मैदान में पांच दिनों तक चले अपने आंदोलन को समाप्त किया। इस आंदोलन के बाद सरकार ने मराठा समुदाय के लिए कुणबी प्रमाणपत्र जारी करने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का फैसला लिया। यह कदम सामाजिक समरसता बनाए रखने और सभी वर्गों के हितों की रक्षा करने के लिए उठाया गया है।





