नोएडा, डेस्क रिपोर्ट। उत्तर प्रदेश के नोएडा के एक गांव में डिजिटल रेप का मामला सामने आया है। इलाज कराने के लिए गांव के क्लीनिक पहुंची महिला के साथ डॉक्टर ने डिजिटल रेप (Digital rape) किया है। पुलिस ने आरोपी डॉक्टर को गिरफ्तार कर लिया है। इलाज के नाम पर क्लीनिक चलाने वाला एक डॉक्टर वहशी दरिंदा निकला। उत्तर प्रदेश के नोएडा के थाना फेस टू में भंगेल गांव में डॉक्टर सचिन अपना क्लीनिक चलाता है। इस पर आरोप है कि इलाज के लिए पहुंची गांव की ही एक महिला के साथ इसने डिजिटल रेप किया। किसी भी महिला की सहमति के बिना उसके प्राइवेट पार्ट को गलत ढंग से छूना डिजिटल रेप कहलाता है। डॉक्टर ने महिला के प्राइवेट पार्ट में उंगली डाल दी और उसके साथ जबरदस्ती करने की कोशिश की।
बमुश्किल अपनी लाज बचा कर घर पहुंची महिला ने अपने परिजनों को सारा वाकया बताया और उसके बाद परिजन पुलिस थाने पहुंचे। थाना प्रभारी परमहंस तिवारी ने महिला की शिकायत पर डॉक्टर के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है और डॉक्टर को गिरफ्तार भी कर लिया गया है। इसके बाद उसे अदालत में पेश किया गया और उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।
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क्या है डिजीटल रेप
डिजीटल रेप के नाम से जहन में आता है कि ये जरूर कुछ टेक्निकल होगा या वर्चुअली किया गया सेक्सुअल असॉल्ट होगा। लेकिन ऐसा नहीं है। डिजिटल रेप वह अपराध है जिसमें पीड़िता या बिना किसी से मर्जी के उंगलियों से या हाथ-पैर के अंगूठे से जबरदस्ती पेनेट्रेशन किया गया हो।
डिजिटल रेप में डिजिट शब्द का अर्थ इंग्लिश के फिंगर, थंब या पैर के अंगूठे से है। साल 2012 से पहले इस टर्म को कोई नहीं जानता था। आज जिस अपराध को डिजिटल रेप का नाम दिया गया है उसे 2012 के पहले छेड़खानी का नाम दिया गया था। लेकिन निर्भया केस के बाद रेप लॉ को पेश किया गया और हाथ उंगली या अंगूठे से जबरदस्ती पेनेट्रेशन को यौन अपराध मानते हुए सेक्शन 375 और पॉक्सो एक्ट की श्रेणी में रखा गया।
साल 2013 में मिली कानूनी मान्यता
साल 2013 से पहले भारत में छेड़खानी या डिजिटल रेप को लेकर कोई कानून नहीं था। लेकिन निर्भया केस के बाद साल 2013 में इस शब्द को मान्यता मिली बाद में डिजिटल रेप को Pocso एक्ट के अंदर शामिल किया गया।