Donald Trump to Impose Tariffs on Pharma Companies : अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपनी टैरिफ नीति को एक बार फिर आगे बढ़ाने जा रह हैं। उन्होंने घोषणा की है कि उनकी सरकार जल्द ही आयातित फार्मास्युटिकल उत्पादों पर नए टैरिफ लगाएगी। इसका मकसद घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के साथ ये भी है कि दवाएं बनाने वाली विदेशी कंपनियां अपना काम अमेरिका में शुरू करें।
ट्रंप प्रशासन के इस निर्णय से भारतीय फार्मास्युटिकल कंपनियों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ने की संभावना है क्योंकि अमेरिका भारतीय दवा निर्यात का एक बड़ा बाजार है। भारत जितनी दवाएं दुनिया भर में बेचता है, उसका लगभग 30% हिस्सा सिर्फ अमेरिका को जाता है। इस घोषणा के बाद भारतीय फार्मा कंपनियों के शेयरों में गिरावट देखी गई है।

ट्रंप लगाएंगे फार्मास्युटिकल सेक्टर पर नया टैरिफ
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि फार्मा सेक्टर पर हम जल्द ही भारी टैक्स लगाने जा रहे हैं। उन्होंने कहा ‘मेरा फर्ज है अमेरिकी लोगों के हक और उनके सपनों की हिफाजत करना।’ ट्रंप ने साफ कहा कि वो दवा कंपनियों पर इतना ज्यादा टैक्स लगाएंगे कि उनके लिए अमेरिका में आकर अपनी फैक्ट्री लगाना ही सबसे फायदेमंद विकल्प बन जाएगा। व्हाइट हाउस के करीबी सूत्रों का कहना है कि यह कदम खास तौर पर उन देशों को ध्यान में रखकर उठाया जा रहा है, जो अमेरिकी बाजार में सस्ती दवाओं की आपूर्ति करते हैं। बता दें कि ट्रंप लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय व्यापार में अमेरिका को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की वकालत करते रहे हैं।
बढ़ सकती है भारत की मुश्किलें
हालांकि ट्रंप प्रशासन ने अभी तक इस घोषणा की आधिकारिक तारीख या टैरिफ दरों का खुलासा नहीं किया है। लेकिन माना जा रहा है कि जल्द ही इस पर विस्तृत बयान जारी हो सकता है। बता दें कि इस टैरिफ से भारतीय फार्मास्युटिकल कंपनियों को बड़ा झटका लग सकता है। भारत की फार्मास्युटिकल कंपनियों ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में संयुक्त राज्य अमेरिका को लगभग 7.55 अरब अमेरिकी डॉलर मूल्य के दवाइयों का निर्यात किया। यह आंकड़ा भारत के कुल फार्मा निर्यात का लगभग एक-तिहाई हिस्सा दर्शाता है, जो अमेरिका को भारतीय दवाओं का सबसे बड़ा आयातक बनाता है। एक तरफ भारतीय फार्मास्युटिकल उद्योग अमेरिका और अन्य वैश्विक बाजारों में अपनी उपस्थिति बढ़ाने के लिए लगातार प्रयासरत है लेकिन अगर टैरिफ में बढ़ोत्तरी होती है तो इसका भारतीय कंपनियों पर गहरा असर पड़ेगा।
अमेरिका की ‘टैरिफ नीति’ का विरोध जारी
बता दें कि डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियों के खिलाफ कई स्तरों पर विरोध देखने को मिल रहा है जिसमें घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों तरह की प्रतिक्रियाएं शामिल हैं। 5 अप्रैल अमेरिका में “हैंड्स ऑफ!” नाम से प्रदर्शन हुए जिसमें हजारों लोग सड़कों पर उतरे, जो ट्रंप की टैरिफ नीतियों, सरकारी कटौती और संघीय कर्मचारियों की छंटनी के खिलाफ थे। वहीं, अमेरिका द्वारा चीन पर 104 प्रतिशत टैरिफ लगाए जाने की घोषणा के बाद, चीन ने इस कदम की कड़ी निंदा की है और इसे “अस्वीकार्य” करार देते हुए जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी है। चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने इस निर्णय को विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियमों का उल्लंघन बताया है और कहा है कि यह अंतरराष्ट्रीय व्यापार व्यवस्था को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाता है। चीन ने यह भी संकेत दिया है कि वह अपने वैध अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाएगा। यूरोपीय संघ ने भी 20% टैरिफ का विरोध करते हुए जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी है।