अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से H-1B वीजा पर 1 लाख अमेरिकी डॉलर का वार्षिक शुल्क लगाने के आदेश को भारत के लिए फायदेमंद और अमेरिका के लिए नुकसानदायक बताया गया है। नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत ने शनिवार को कहा कि यह कदम अमेरिकी नवाचार को बाधित करेगा, जबकि भारत के लिए यह एक बड़ा अवसर साबित होगा। कांत ने अपने एक ट्वीट में इस निर्णय को भारत की प्रगति के लिए टर्बोचार्ज करने वाला करार दिया।
अमिताभ कांत के अनुसार, एच-1बी वीजा पर इस भारी शुल्क से अमेरिका में कुशल पेशेवरों की कमी हो सकती है, जो तकनीकी और नवाचार क्षेत्र में उसकी प्रगति को प्रभावित करेगा। दूसरी ओर, भारत जैसे देश जो पहले से ही कुशल तकनीकी प्रतिभाओं का केंद्र है, इस स्थिति का लाभ उठा सकते हैं। यह कदम भारतीय आईटी और तकनीकी क्षेत्र को और मजबूत करने में मदद कर सकता है।
US में काम करने की प्रक्रिया और जटिल
यह निर्णय भारतीय पेशेवरों के लिए अमेरिका में काम करने की प्रक्रिया को और जटिल बना सकता है, जिससे कई लोग भारत में ही रहकर काम करने का विकल्प चुन सकते हैं। इससे भारत में स्टार्टअप्स और तकनीकी कंपनियों को बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि प्रतिभाशाली लोग अब देश में रहकर वैश्विक स्तर पर योगदान दे सकते हैं। कांत का मानना है कि यह भारत के लिए ब्रेन ड्रेन को ब्रेन गेन में बदलने का मौका है।
अमेरिका और भारत के बीच प्रतिभा प्रवाह
रिपोर्ट के मुताबिक, यह कदम न केवल अमेरिका और भारत के बीच प्रतिभा प्रवाह को प्रभावित करेगा, बल्कि वैश्विक तकनीकी अर्थव्यवस्था में भी नए बदलाव ला सकता है। भारत अब इस अवसर का उपयोग कर अपनी तकनीकी क्षमताओं को और मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ा सकता है।





