अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत के प्रोडक्ट्स पर टैरिफ बढ़ाने की धमकी दी है। इस बार डोनाल्ड ट्रंप ने फार्मास्यूटिकल प्रोडक्ट्स पर ढाई सौ प्रतिशत टैरिफ लगाने की धमकी दी है। दरअसल, CNBC को दिए एक इंटरव्यू में डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि वह फार्मास्यूटिकल्स पर शुरू में छोटा टैरिफ लगाएंगे, लेकिन बाद में इसे बढ़ाकर डेढ़ सौ प्रतिशत और उसके बाद ढाई सौ प्रतिशत तक कर देंगे। उन्होंने यह टैरिफ एक से डेढ़ साल में बढ़ाने की बात कही है।
डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि दवाइयां अमेरिका में ही बनाई जाएं। उनका कहना है कि वे चाहते हैं कि अमेरिका फार्मा प्रोडक्ट्स के लिए ज्यादा विदेशी देशों पर निर्भर न रहे, खासकर भारत और चीन पर। इस समय अमेरिका फार्मा प्रोडक्ट्स के लिए भारत पर काफी निर्भर है। बता दें कि डोनाल्ड ट्रंप के इस ऐलान से भारतीय फार्मा सेक्टर पर बड़ा असर पड़ सकता है।
अमेरिका भारत से करता है सबसे ज्यादा जेनरिक दवाएं इंपोर्ट
भारत और अमेरिका के बीच फार्मास्यूटिकल सेक्टर में बड़ी डील होती है। दरअसल, भारत बड़ी मात्रा में अमेरिका को दवाइयां सप्लाई करता है, जिनमें जेनेरिक दवाइयां, वैक्सीन और एक्टिव इंग्रेडिएंट्स शामिल होते हैं। 2020 के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो भारत ने अमेरिका को लगभग 7.5 अरब डॉलर यानी करीब 65,000 करोड़ रुपए से ज्यादा की दवाइयां भेजी हैं। वहीं, अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन की मानें तो अमेरिका में जो जेनेरिक दवाइयां इस्तेमाल की जाती हैं, उनमें लगभग 40% से ज्यादा भारत से ही इंपोर्ट की जाती हैं।
भारतीय कंपनियों पर कितना असर पड़ेगा?
अब डोनाल्ड ट्रंप के इस ऐलान के बाद भारतीय फार्मास्यूटिकल सेक्टर पर बड़ा असर पड़ सकता है। अगर ट्रंप भारत की दवाओं पर ढाई सौ प्रतिशत तक टैरिफ लगाते हैं, तो कंपनियों को अमेरिका में अपने प्रोडक्ट्स की कीमतों को दोगुना करना पड़ेगा। कीमतें बढ़ जाने से अमेरिका के लोग इन दवाओं को खरीदना कम कर देंगे, जिससे कंपनियों के मुनाफे में भारी कमी देखने को मिलेगी। हालांकि अब भारतीय कंपनियां अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने पर भी जोर दे सकती हैं। भारत जेनेरिक दवाएं सबसे ज्यादा बनाता है क्योंकि ये दवाएं सबसे सस्ती और उतनी ही असरदार होती हैं। अमेरिका में ज्यादातर डॉक्टर इन्हीं दवाओं को लिखते हैं।





