ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 के लागू हो जाने के बाद Dream11 की पैरेंट कंपनी ड्रीम स्पोर्ट्स ने नया ऐप लॉन्च किया है। इस ऐप का नाम ड्रीम मनी है, जो SIP, डिजिटल गोल्ड और FD जैसी सेवाएं प्रदान करता है। इस ऐप को व्यक्तिगत निवेश और बचत की सेवाओं के मंच के रूप में दिखाया गया है।
Dream11 सालों से भारत में फैंटेसी क्रिकेट और अन्य प्ले टू विन खेलों का सबसे बड़ा मंच रहा है। लेकिन हाल ही में सरकार द्वारा बनाए गए ऑनलाइन गेमिंग कानून के चलते इसका कारोबार अब बंद हो चुका है, जिसके चलते अब कंपनी ने यूजर्स के लिए वैकल्पिक ऐप के जरिए सेवाएं देने का निर्णय लिया है।
जानिए क्या है ड्रीम मनी?
ड्रीम मनी के जरिए अब यूजर्स फिक्स्ड डिपॉजिट, डिजिटल गोल्ड और वित्तीय मैनेजमेंट की सेवाएं ले सकेंगे। लेकिन गौर करने वाली बात यह है कि इनमें से कोई भी सेवा ड्रीम मनी द्वारा सीधे प्रदान नहीं की जाएगी। बल्कि कंपनी अलग-अलग वित्तीय संस्थानों और टेक्नोलॉजी पार्टनर्स के साथ पिग्गीबैंकिंग कर सेवाएं प्रदान करेगा। कंपनी ने दावा किया है कि उसका यह नया बिजनेस मॉडल फिनटेक सेक्टर में अपनी अलग पहचान बनाएगा। हालांकि, नए ऐप के लॉन्च होने से Dream11 की मुश्किलें खत्म नहीं होंगी। कारण है करोड़ों रुपए का GST बकाया।
यह है मामला
Dream 11 पर लगभग 28,000 करोड़ का जीएसटी बकाया है। जिसका मामला अभी भी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। हालांकि इस मामले में dream11 के पक्ष में हाई कोर्ट द्वारा निर्णय दिया जा चुका है। लेकिन विभाग द्वारा इस निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया गया है।
दरअसल विभाग का आरोप है कि कंपनी ने केवल प्लेटफॉर्म फ़ीस के कमीशन पर टैक्स अदा किया, जबकि विभाग द्वारा पूरी फेस वैल्यू पर जीएसटी भुगतान की बात कही गई है वह भी 28% की दर से।
उदाहरण के तौर पर : यदि कोई व्यक्ति dream11 पर जाकर स्पोर्ट फेंटेसी गेम खेलने के लिए 100 रुपए देता है, जिसमें से 10 रूपये की कंपनी की प्लेटफार्म फीस है। तो कंपनी द्वारा केवल 10 रूपये पर 18% जीएसटी यानी 1.8 रूपये दिया जाएगा।
जबकि विभाग का कहना है कि चुकी यह ऑनलाइन पैसे से जुड़ा मामला है और यह गैंबलिंग/बेटिंग की श्रेणी में आता है, तो कंपनी को 100 रूपये पर 28% की जीएसटी की दर से भुगतान करना होगा।
विभाग की इस बात को लेकर कंपनी द्वारा मुंबई हाई कोर्ट में मामला दायर किया गया था जिस कंपनी के पक्ष में सुनाया गया था और बाद में यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा था।
हालांकि वर्ष 2023 में 18% और 28% किसी उलझन को खत्म करते हुए जीएसटी काउंसिल ने यह निर्णय लिया कि अब प्लेयर की फुल फेस वैल्यू पर 28% जीएसटी लगाया जाएगा।
अब यदि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय कंपनी के फेवर में आता है तो निश्चित तौर पर यह न केवल कंपनी की वित्तीय व्यवस्थाओं के लिए एक वरदान की तरह साबित होगा बल्कि कंपनी द्वारा खोले गए नए ऐप ड्रीम मनी के लिए भी चीजों को बेहतर करेगा।
लेकिन यदि यह निर्णय जीएसटी विभाग के फेवर में आता है और जीएसटी का भुगतान रेट्रोस्पेक्टिवली करने के निर्देश सर्वोच्च न्यायालय द्वारा कंपनी को दिए जाते हैं तो यह कंपनी के वित्तीय प्रबंधन को जमीन पर ला पटकेगा। हजारों करोड़ों रुपए का जीएसटी का भुगतान कहीं ना कहीं कंपनी की रीड की हड्डी पर गहरी चोट करेगा।
क्या निवेशकों का भरोसा जीत पाएगा ड्रीम मनी?
करोड़ों रुपए के बकाया जीएसटी पेमेंट के बीच कंपनी द्वारा ड्रीम मनी का लॉन्च करना, और उसमें भी केवल एक सर्विस प्रोवाइडर की भूमिका निभाना कहीं ना कहीं यूजर के मन में शंका सी पैदा कर सकता है। क्योंकि यदि जीएसटी का निर्णय कंपनी के फेवर में नहीं आता है और कंपनी को भारी नुकसान उठाना पड़ता है ऐसे में एक सर्विस प्रोवाइडर के तौर पर कंपनी द्वारा दी जा रही सर्विसेज का बेहतर ढंग से जारी रह पाना कहीं ना कहीं मुश्किल हो सकता है।
क्या है कंपनी की सोच?
हालांकि, कंपनी का मानना है कि ड्रीम मनी उनकी लॉन्ग-टर्म ग्रोथ स्ट्रैटेजी का हिस्सा है। इससे उन्हें गेमिंग से हटकर एक नए सेक्टर में मजबूत पकड़ बनाने का मौका मिलेगा। वहीं, जीएसटी विवाद के बीच इस ऐप की लॉन्चिंग को लेकर अब इंडस्ट्री में क्या देखने को मिलेगा, क्योंकि मार्केट में पहले से इस तरह के बड़े प्लेयर्स मौजूद हैं, 10 प्लेयर्स की मौजूदगी में ड्रीम मनी कैसे अपनी जगह बनाएंगी, इस पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं।





