निर्वाचन आयोग ने कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी पर उनके वोट चोरी के आरोपों को लेकर कड़ा रुख अपनाया। राहुल गांधी ने कर्नाटक, महाराष्ट्र और हरियाणा जैसे राज्यों में मतदाता सूचियों में हेरफेर और फर्जी मतदाताओं को शामिल करने का आरोप लगाया था। इसके जवाब में, आयोग ने उनसे अपने दावों के समर्थन में हस्ताक्षरित घोषणापत्र प्रस्तुत करने या फिर इन ‘फर्जी’ आरोपों के लिए देश से माफी मांगने की मांग की। यह विवाद तब और गहरा गया जब आयोग ने कहा कि गांधी के आरोपों में ठोस सबूतों की कमी है, और यदि वे अपने दावों पर कायम हैं तो उन्हें औपचारिक रूप से शपथ पत्र देना होगा।
राहुल गांधी ने 7 अगस्त 2025 को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया था कि विशेष रूप से कर्नाटक के बेंगलुरु मध्य लोकसभा क्षेत्र के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में 1,00,250 फर्जी वोट जोड़े गए, जिसके परिणामस्वरूप भाजपा को जीत मिली। उन्होंने पांच प्रकार की अनियमितताओं का उल्लेख किया, जिसमें डुप्लीकेट वोटर, फर्जी पते, गलत फोटो, एक ही पते पर सैकड़ों वोटर और फॉर्म 6 का दुरुपयोग शामिल हैं। इसके जवाब में, कर्नाटक, महाराष्ट्र और हरियाणा के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों ने गुरुवार को गांधी से उन मतदाताओं के नाम और सबूत मांगे, जिनके बारे में उन्होंने दावा किया था कि उन्हें गलत तरीके से मतदाता सूची में शामिल या हटाया गया है।
‘राहुल गांधी के पास 2 विकल्प‘
निर्वाचन आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि राहुल गांधी अपने विश्लेषण और आरोपों पर भरोसा करते हैं, तो उन्हें शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करने में कोई हिचक नहीं होनी चाहिए। आयोग के एक अधिकारी ने कहा कि गांधी के पास दो विकल्प हैं: या तो वे अपने दावों को औपचारिक रूप से प्रमाणित करें, या फिर भ्रामक आरोप लगाने के लिए देश से माफी मांगें। आयोग ने यह भी बताया कि कांग्रेस द्वारा 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद शायद ही कोई औपचारिक शिकायत दर्ज की गई हो, और गांधी द्वारा उठाए गए कुछ मुद्दों को पहले ही उच्चतम न्यायालय द्वारा खारिज किया जा चुका है।
कांग्रेस नेता ने क्या दिया जवाब
राहुल गांधी ने इस मांग के जवाब में स्पष्ट कर दिया कि वे घोषणापत्र पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे, क्योंकि उन्होंने संसद सदस्य के रूप में संविधान की रक्षा करने की शपथ पहले ही ले ली है। उन्होंने आयोग की मांग को ‘बकवास’ करार देते हुए कहा कि यह मामला गंभीर है और वे इसे छोड़ेंगे नहीं। इसके साथ ही, कांग्रेस ने 11 अगस्त को विरोध प्रदर्शन की घोषणा की है, और अन्य विपक्षी नेता जैसे शरद पवार ने भी गांधी के आरोपों का समर्थन करते हुए जांच की मांग की है। यह विवाद भारत के चुनावी तंत्र की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर एक व्यापक बहस को जन्म दे सकता है।





