Tourist Permit : देशभर में एक मई से इलेक्ट्रिक वाहनों को फ्री ऑल इंडिया परमिट देने का प्लान बनाया गया है। दरअसल, इसको लेकर पूरी व्यवस्था बदलने जा रही है। बताया जा रहा है कि इलेक्ट्रिक और मेथेनॉल या एथेनॉल ईंधन से चलने वाली सभी गाड़ियां अब निशुल्क परमिट प्राप्त कर सकेगी। लेकिन डीजल और पेट्रोल से चलने वाली गाड़ियों के लिए शुल्क तय किया हुआ है जिसे चुकाना पड़ेगा।
उसके बाद ही पूरे देश में जाने की अनुमति मिल सकेगी। इतना ही नहीं उन सभी वाहनों को ऑल इंडिया टूरिस्ट परमिट मिलने के बाद भी दूसरे राज्य में जाने पर वहां का सप्ताहिक टैक्स भी देना पड़ेगा। हालांकि वाहन मालिकों को इससे काफी ज्यादा सुविधा मिल सकेगी। लेकिन इस नियम से कई राज्य नाखुश है।
जानकारी के मुताबिक, नवंबर में नई व्यवस्था को लेकर केंद्र सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी किया गया था। लेकिन उस पर कई आपत्तियां और दावे के साथ-साथ सुझाव भी दिए गए। जिसके बाद विचार किया गया और अब फाइनल नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है। इस नोटिफिकेशन के तहत देशभर में 1 मई से यह नियम लागू कर दिया जाएगा।
ऐसे में पर्यटक वाहन ऑपरेटर के कमर्शियल यात्री वाहन के लिए ऑल इंडिया टूरिस्ट परमिट जारी किया जाएगा। ऐसे में सबसे ज्यादा सुविधा इलेक्ट्रिक वाहनों दी जाएगी। इसकी वैधता 3 महीने से लेकर 5 साल तक के लिए रहेगी।
गौरतलब है कि निजी वाहन मालिकों के लिए यह सुविधा नहीं है, क्योंकि देश में कहीं भी जाने के लिए उन्हें परमिट की जरूरत नहीं पड़ती है। लेकिन अब तक देशभर में लंबे और बड़े मार्गो पर चलने वाली बसें और बड़े वाहन सर्च ऑल इंडिया परमिट के द्वारा ही संचालित किए जाते हैं। इसके लिए ट्रेवल्स की गाड़ियों को भी परमिट लेना पड़ता है।
लेकिन सुनाई व्यवस्था लागू की गई है, उसमें अब इलेक्ट्रिक बसे और कारें शामिल नहीं होंगी। यह मुफ्त में ही परमिट दे दिया जाएगा। जिससे काफी ज्यादा प्रदूषण नियंत्रित होगा और यात्रियों को भी सुविधा मिलेगी। हालांकि इस नए नियम से टूरिस्ट परमिट ऑपरेटर तो बेहद खुश हैं। लेकिन कई राज्य नाराज है।
हर राज्य अपने यहां किसी दूसरे राज्य में रजिस्टर्ड वाहन के प्रवेश पर साप्ताहिक टैक्स अभी तक लेते हुए आया है। अब नई व्यवस्था के लागू होने के बाद राज्यों की मनमानी पर रोक लग जाएगी। ऐसे में ना तो अब वह साप्ताहिक टैक्स वसूल सकेंगे और ना ही कुछ कह सकेंगे। हालांकि केंद्र सरकार इस टैक्स को एक फार्मूले के चलते राज्यों को वितरित करेगा। जिससे राज्यों को आर्थिक नुकसान भी झेलना पड़ सकता है।