EPFO : कर्मचारियों के लिए काम की खबर, क्या मिलेगी 9000 रुपए महीना मिनिमम पेंशन? जानें नया अपडेट

एम्पलाइज प्रॉविडेंट फंडऑर्गेनाइजेशन (EPFO) के तहत आने वाले प्रॉइवेट कर्मचारियों ने एम्पलाइज पेंशन स्कीम (EPS) के तहत मंथली मिनिमम पेंशन बढ़ाए जाने की मांग तेज कर दी है।

EPFO Pesnion: कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (Employees Provident Fund Organization) के कर्मचारियों-खाताधारकों के लिए काम की खबर है। यूनिफाइड पेंशन स्कीम की घोषणा और EPFO 3.0 योजना की चर्चाओं के बीच सेवानिवृत्ति कर्मचारियों की न्यूनतम पेंशन बढ़ाने की मांग तेज हो चली है।

EPFO के तहत आने वाले प्रॉइवेट कर्मचारियों ने भी एम्पलाइज पेंशन स्कीम (EPS) के तहत मंथली मिनिमम पेंशन बढ़ाए जाने की मांग की है।पेंशनर्स संघ का कहना है कि न्यूनतम पेंशन 1000 रुपये बहुत कम है, इसे बढ़ाकर 9000 रुपये की जाये।

कर्मचारी पेंशनर्स संघ लंबे समय से कर रहे मांग

  • हाल ही में महाराष्ट्र के नासिक में पेंशनभोगियों ने EPFO ऑफिस के बाहर प्रदर्शन कर मिनिमम पेंशन बढ़ाने की मांग की थी।इसके अलावा देश के विभिन्न श्रमिक संगठनों ने श्रम संहिताओं को खत्म करने और निजीकरण बंद करने जैसी मांगों को लेकर 20 मई को देशव्यापी हड़ताल का भी आह्वान किया है।
  • खबर है कि EPS-95 राष्ट्रीय संघर्ष समिति ने बजट से पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से इस संबंध में चर्चा की थी और उम्मीद थी कि बजट 2025-26 में इसको लेकर कोई ऐलान हो सकता है लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मद्रास लेबर यूनियन और बी एंड सी मिल्स स्टाफ यूनियन ने भी केंद्रीय श्रम मंत्री मनसुख मंडाविया से पेंशन 9,000 रुपये प्रति महीने करने का आग्रह किया है।

2014 में केन्द्र सरकार ने की थी पेंशन की घोषणा

  • EPFO के अंतर्गत आने वाले निजी कर्मचारियों को कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) के माध्यम से न्यूनतम पेंशन मिलती है।सितंबर 2014 में केंद्र सरकार ने कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस), 1995 के तहत आने वाले पेंशनभोगियों के लिए 1,000 रुपये प्रति माह की न्यूनतम पेंशन की घोषणा की थी, जिसे लंबे समय से पेंशनर्स बढ़ाने की मांग कर रहे है।
  • खबर है कि श्रम मंत्रालय ने 2023 में वित्त मंत्रालय को एक प्रस्ताव भेजा था, लेकिन वित्त मंत्रालय ने इस प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दी।वर्तमान में EPF-95 के तहत लगभग 186 संस्थान आते हैं। 80 लाख पेंशनभोगी ऐसे हैं जो इस कैटेगरी में आते हैं। इसमें 18 लाख सिर्फ महाराष्ट्र राज्य से हैं।

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Pooja Khodani

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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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