पटरी पर दौड़ रही पातालकोट एक्सप्रेस में आग, लपटों में घिरे यात्री, कूदकर बचाई जान, बड़ा हादसा टला

Atul Saxena
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Patalkot Express Train Fire

Patalkot Express Train Fire: आज एक बड़ा रेल हादसा टल गया, घटना आगरा रेलवे स्टेशन के पास की है जब मथुरा से निकलकर पातालकोट एक्सप्रेस ग्वालियर झाँसी की तरफ जा रही थी , भांडई स्टेशन के पास से गुजरते समय ट्रेन की जनरल बोगी में तेज आवाज के साथ धमाका हुआ और लपटें उठने लगी, यात्रियों का दम घुटने लगा, अहसास होते ही ड्राइवर ने तुरंत इंमरजेंसी ब्रेक लगाये और यात्रियों एन कूदकर अपनी जान बचाई, रेलवे स्टाफ ने तुरंत दोनों बोगियों को अलग कर दिया, हादसे में कुछ यात्रियों के झुलसने की खबर है लेकिन अच्छी बात ये रही कि कोई जनहानि नहीं हुई।

पटरी पर दौड़ रही पातालकोट एक्सप्रेस में आग, लपटों में घिरे यात्री, कूदकर बचाई जान, बड़ा हादसा टला

बोगी में हुआ तेज धमाका, लगी आग  

जानकारी के मुताबिक आज दोपहर में पातालकोट एक्सप्रेस जब मथुरा स्टेशन से ग्वालियर झाँसी की तरफ रवाना हुई तब  सब कुछ ठीक था, गाड़ी आगरा कैंट से कुछ किलोमीटर आगे ही बढ़ी थी कि करीब पौने चार बजे के आसपास भांडई स्टेशन को पार करते ही उसके जनरल कोच में धमाका हुआ और आग की लपटें निकलने लगी ।

दो जनरल बोगी आग की चपेट में, इमरजेंसी ब्रेक लगा रोकी ट्रेन  

चूँकि गाड़ी रफ़्तार में थी तो आग की लपटें तेज हो गई और उसने दूसरी जनरल बोगी को भी अपनी चपेट में ले लिया , बोगी में धुंआ और आग से यात्रियों का दम घुटने लगा। उनमें भगड़द और चीख-पुकार मच गई। ड्राइवर को आग का अहसास होते ही ट्रेन में इमरजेंसी ब्रेक लगाये गए।

यात्रियों में दहशत, कूदकर बचाई जान 

ब्रेक लगते ही यात्रियों ने ट्रेन से कूदकर अपनी जान बचाई, गाड़ी को रोक दिया गया और जली हुई दोनों बोगियों को रेलवे स्टाफ ने तुरंत अलग कर दिया , तत्काल मौके पर फायर ब्रिगेड पहुंची और आग पर काबू पा लिया गया, घटना में कुछ लोगों के घायल होने झुलसने की खबर है, पुलिस की मदद से इन्हें अस्पताल पहुंचाया गया, उधर रेलवे के आग लगने  के कारणों की जांच शुरू कर दी है।

 

 

 

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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