ये है भारत का पहला जिला, कभी हुआ करता था डकैतों का इलाका, आज बन चुका है स्मार्ट शहर!

पिछले कई आर्टिकल में हम आपको भारत के बहुत सारे जिलों से रूबरू करवा चुके हैं। आज के आर्टिकल में हम आपको भारत का पहला जिला के बारे में बताएंगे, जिसका इतिहास काफी अलग और अनोखा है।

भारत अपनी विविध, संस्कृति, परंपरा और अनोखे इतिहास के लिए जाना जाता है। यहां का हर एक शहर और जिला किसी न किसी चीज के लिए प्रसिद्ध है। यहां सभी धर्म के लोग आपस में मिलजुल कर रहते हैं। सभी पर्व त्यौहार को एक साथ खुशियों के साथ मनाया जाता है। यहां का पहनावा-उढ़ावा, रहन-सहन और खानपान सभी चीजों से अलग बनाता है। हर राज्य टूरिज्म के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। इससे देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलती है। इसलिए केंद्र और राज्य सरकार द्वारा मिलकर भारतीय पर्यटन को तेजी से बढ़ावा दिया जा रहा है। इससे स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिल रहे हैं, साथ ही लोग हमारे देश की परंपरा को करीब से जानने का अवसर प्राप्त कर रहे हैं।

पिछले कई आर्टिकल में हम आपको भारत के बहुत सारे जिलों से रूबरू करवा चुके हैं। आज के आर्टिकल में हम आपको भारत का पहला जिला के बारे में बताएंगे, जिसका इतिहास काफी अलग और अनोखा है।

भारत का सबसे पहला जिला

अच्छे से अच्छे धुरंधर भी भारत का पहला जिला के बारे में नहीं जानते हैं। अक्सर ऐसे प्रश्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाते हैं। इसके अलावा, सामान्य ज्ञान के लिएहाज से भी इस प्रश्न का जवाब पता होना जरूरी है। यदि आपको भी ऐसे सवालों का जवाब जानने की इच्छा है, तो आप इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें, जिससे आपको इस प्रश्न का उत्तर मिल सके।

पूर्णिया

दरअसल, भारत का सबसे पहला जिला बिहार में स्थित है। जिसका नाम पूर्णिया है, जिसे 1770 में ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा स्थापित किया गया था। मुगलों के समय में यह इलाका सैनिक सीमांत प्रांत था। बाद में अंग्रेजों ने साल 1765 में कब्जे में ले लिया और 10 फरवरी 1770 को इसे एक जिला घोषित कर दिया। इसके बाद यहां अंग्रेजों ने व्यापारिक केंद्र बनाया।

शब्द का अर्थ

पूर्णिया का नाम पूर्ण और अरण्य शब्द से मिलकर बना है। जिसका अर्थ समृद्धि और जंगल से है। यह क्षेत्र पहले जंगलों से घिरा हुआ था। समृद्धि की यहां कोई कमी नहीं थी। इसलिए इस जिले का नाम पूर्णिया रखा गया। लोग इसे डाकुओं का इलाका मानते थे। हालांकि, वर्तमान में अब यह स्मार्ट सिटी में बदल चुका है। यहां मेडिकल कॉलेज से लेकर आम जनता के लिए सभी बेसिक सुविधा सरकार द्वारा मुहैया कराई गई है।

दिखेगा स्थानीय कल्चर

बिहार में यह स्थान बहुत ही खास है। 250 साल बाद यहां काफी ज्यादा बदलाव हो चुके हैं। आर्थिक और सामाजिक दृष्टिकोण से इस क्षेत्र में काफी तेजी से विकास हुआ है। लोगों की जीवन शैली में बदलाव आया है। अब यह भारत का उभरता हुआ शहर बन चुका है, जहां एक से बढ़कर एक स्कूल, कॉलेज, रेस्टोरेंट और घूमने-फिरने वाली जगह है। यदि कभी आपको यहां जाने का मौका मिले, तो अवश्य जाएं। यहां आपको बिहार राज्य का स्थानीय कल्चर देखने को मिलेगा।


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Sanjucta Pandit

Sanjucta Pandit

मैं संयुक्ता पंडित वर्ष 2022 से MP Breaking में बतौर सीनियर कंटेंट राइटर काम कर रही हूँ। डिप्लोमा इन मास कम्युनिकेशन और बीए की पढ़ाई करने के बाद से ही मुझे पत्रकार बनना था। जिसके लिए मैं लगातार मध्य प्रदेश की ऑनलाइन वेब साइट्स लाइव इंडिया, VIP News Channel, Khabar Bharat में काम किया है।पत्रकारिता लोकतंत्र का अघोषित चौथा स्तंभ माना जाता है। जिसका मुख्य काम है लोगों की बात को सरकार तक पहुंचाना। इसलिए मैं पिछले 5 सालों से इस क्षेत्र में कार्य कर रही हुं।

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