भारत का पहला हेरिटेज विलेज, टूरिस्ट्स के लिए बन रहा परफेक्ट डेस्टिनेशन

पिछले कई आर्टिकल में हम आपको भारत में स्थित कई सारे गांव की खासियत और वहां का महत्व बता चुके हैं। आज हम आपको उस गांव के बारे में बताएंगे, जो कि भारत का पहला हेरिटेज गांव है।

भारत की लगभग 70% आबादी गांव में रहती है, जो कि कृषि पर निर्भर होती है। यहां सुबह से लेकर शाम तक चहल-पहल देखने को मिलती है, लेकिन रात में यहां बिल्कुल सन्नाटा छा जाता है। मौसम के मामले में भी गांव काफी ज्यादा सुरक्षित और पॉल्यूशन फ्री है। हर गांव की अपनी अलग-अलग विशेषता और महत्व है। इन दिनों लोगों में विलेज कल्चर का क्रेज बढ़ रहा है। टूरिस्ट अक्सर उन्हीं गांव की तलाश करते हैं, जो अपने आप में अनोखा और बेहद खास है। यहां जाकर उन्हें स्थानीय परंपरा को नजदीक से देखने और जानने का मौका मिलता है। केंद्र और राज सरकार द्वारा भी लगातार विलेज टूरिज्म को बढ़ावा दिया जा रहा है।

पिछले कई आर्टिकल में हम आपको भारत में स्थित कई सारे गांव की खासियत और वहां का महत्व बता चुके हैं। आज हम आपको उस गांव के बारे में बताएंगे, जो कि भारत का पहला हेरिटेज गांव है।

प्रागपुर (Pragpur)

दरअसल, इस गांव का नाम प्रागपुर है, जो कि हिमाचल की कांगड़ा घाटी में स्थित है। देश का पहला हेरिटेज विलेज पुरानी और ऐतिहासिक धरोहरों में से एक है। यहां जाने पर आपको बीते युग में होने का एहसास होगा। यहां रहन-सहन से लेकर घर की बनावट, खेत, खलियान इसे बाकी सभी गांव से अलग बनाती है। यहां जाने वाले पर्यटक वापस लौटना नहीं चाहते हैं। यहां का खूबसूरत नजारा लोगों का मन मोह लेती है। बता दें कि यह गांव सेहरी खड्ड और लग-बलियाणा खड्ड के संगम पर स्थित है, इसलिए इसका नाम प्रागपुर रखा गया है, जिसका अर्थ है जहां दो जलधाराएं मिलती हैं।

दिखेगा शैलियों का मिश्रण

साल 1997 के बाद यह गांव भारत का पहला हेरिटेज विलेज बना, जहां आपको हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा क्षेत्र का समृद्ध इतिहास और सांस्कृतिक विरासत का अनोखा संगम देखने को मिलेगा। यहां स्थित मकान, स्कूल और अस्पताल बहुत ही सुंदर और शानदार है। यहां आपको पुर्तगाली, राजपूत और ब्रिटिश शैलियों का मिश्रण भी देखने को मिलेगा।

इतिहास

देश का पहला हेरिटेज विलेज हिमाचल की राजधानी शिमला से 192 किलोमीटर, धर्मशाला से करीब 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसका इतिहास बहुत ही अनोखा है। ग्रामीण की मानें तो इसका निर्माण करीब 300 साल पहले किया गया था, जबकि कुछ लोगों का मानना है कि गांव की स्थापना सूद समुदाय के लोगों ने 16वीं शताब्दी में की थी। यहां के घरों को देखकर आपको ऐसा लगेगा कि आप यूरोपीय देशों में घूमने के लिए पहुंच चुके हैं। यही कारण है कि सैलानी बहुत ज्यादा आकर्षित हो रहे हैं।

पैदल करें सैर

यदि आप कभी प्रागपुर गांव घूमने के लिए जाए, तो आप यहां पर पैदल घूम सकते हैं। सड़क किनारे स्थित घर, बागवानी और कोठी को देखकर आपको एक अलग ही अनुभव मिलेगा। इस गांव से आप हिमालय की खूबसूरती को भी निहार सकते हैं। इसके अलावा, ट्रैकिंग, हाइकिंग और कैंपिंग का भी लुफ्त उठा सकते हैं। यहां की मेहमान नवाजी आपको दीवाना बना सकती है।


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Sanjucta Pandit

Sanjucta Pandit

मैं संयुक्ता पंडित वर्ष 2022 से MP Breaking में बतौर सीनियर कंटेंट राइटर काम कर रही हूँ। डिप्लोमा इन मास कम्युनिकेशन और बीए की पढ़ाई करने के बाद से ही मुझे पत्रकार बनना था। जिसके लिए मैं लगातार मध्य प्रदेश की ऑनलाइन वेब साइट्स लाइव इंडिया, VIP News Channel, Khabar Bharat में काम किया है।पत्रकारिता लोकतंत्र का अघोषित चौथा स्तंभ माना जाता है। जिसका मुख्य काम है लोगों की बात को सरकार तक पहुंचाना। इसलिए मैं पिछले 5 सालों से इस क्षेत्र में कार्य कर रही हुं।

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