भारत का पहला हाईवे, जो आज भी है देश की लाइफलाइन! 2500 साल पुराना है इतिहास

आज हम आपको भारत का पहला हाईवे के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे एक राजा ने बनवाया था। इस सड़क का नाम कई बार बदला जा चुका है। सबसे पहले इसका नाम उत्तरापथ रखा गया था। बाद में इसे बदलकर सड़क-ए-आजम, बादशाही सड़क, द लॉन्ग रोड रखा गया।

भारत में कनेक्टिविटी की बात की जाए, तो लगभग सभी राज्य में एक्सप्रेसवे और हाईवे का तेजी से निर्माण किया जा रहा है, जिससे लोगों को जाम की समस्या से छुटकारा मिले। साथ ही उनके समय में बचत हो। हाईवे और एक्सप्रेसवे के निर्माण से एक राज्य से दूसरे राज्य में पहुंचने का समय बहुत ही काम हो चुका है। पहले जिस सफर को पूरा करने में 10 से 12 घंटे लगते थे, अब उस सफर को महज 6 से 7 घंटे में पूरा किया जा सकता है। इसके अलावा, शहर में लगने वाले ट्रैफिक से भी छुटकारा मिल रहा है, क्योंकि इन हाईवे के बनने से सिटी के अंदर जाने की जरूरत नहीं पड़ती, बल्कि बाहर-ही-बाहर अपने गंतव्य तक आसानी से पहुंचा जा सकता है।

केंद्र और राज्य सरकार द्वारा लगातार सड़कों के निर्माण पर ध्यान दिया जा रहा है। परिवहन विभाग द्वारा आए दिन एक्सप्रेसवे और हाईवे की नींव रखी जा रही है, जिसकी पूरी देखरेख NHAI (भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) द्वारा की जाती है।

भारत का पहला हाईवे

इससे पहले हम आपको देश का सबसे महंगा एक्सप्रेसवे के बारे में बता चुके हैं, जहां वाहन चालकों को सबसे अधिक टोल चुकाना पड़ता है। जिसका नाम मुंबई पुणे एक्सप्रेसवे है। जिसका निर्माण साल 2002 में किया गया था, जिसे बनाने में लगभग 1630 करोड़ की लागत आई थी। जिसकी निगरानी सीसीटीवी कैमरे से रखी जाती है, लेकिन आज हम आपको भारत का पहला हाईवे के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे एक राजा ने बनवाया था।

जीटी रोड या ग्रैंड ट्रंक रोड

इस हाईवे का इतिहास सदियों पुराना है, जो दक्षिण एशिया के सबसे पुराने और सबसे लंबे मार्गो में से एक है। भारत का सबसे पुराना हाईवे जीटी रोड या ग्रैंड ट्रंक रोड कहलाता है। जिसकी लंबाई लगभग 24 किलोमीटर है, जिसे चंद्रगुप्त मौर्य के शासन में बनाया गया था। इसका इतिहास लगभग 2500 साल पुराना है। जिसे 16वीं शताब्दी में शेरशाह सूरी ने इसे पक्का करवाया था, जो 1530 से 1540 तक बिहार का शासक थे। साल 1539 में शेरशाह ने चौसा की लड़ाई में हुमायूं को हरा दिया था।

किए गए थे ये इंतजाम

शेरशाह सूरी ने GT रोड पर यात्रियों के रुकने के लिए जगह-जगह कमरे, सड़क पर पशुओं को बांधने की जगह और पानी के लिए कुएं भी बनाए गए थे। इन सुविधाओं के मिलने के बाद वाहन चालकों को किसी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं होती थी। इसके अलावा, हाईवे पर जगह-जगह दूरी मापने के लिए पेड़ भी लगाए गए थे। एक कोस में 3.2 किलोमीटर की दूरी होती थी। इस सड़क का निर्माण काबुल से लेकर चटगांव तक कराया गया। यह सड़क कई देशों की राजधानी को जोड़ती है।

जानें रूट

यह जीटी रोड चटगांव, ढाका, हावड़ा, बर्धमान, दुर्गापुर, आसनसोल, धनबाद, औरंगाबाद, सासाराम, वाराणसी, प्रयागराज, कानपुर, आगरा, मथुरा, दिल्ली, सोनीपत, पानीपत, करनाल, कुरुक्षेत्र, अंबाला, सरहिंद, लुधियाना, जालंधर, करतारपुर, अमृतसर, अटारी, वाघा बॉर्डर होती हुई पाकिस्तान में पेशावर से खैबर दर्रा और अफगानिस्तान में काबुल तक जाती है।

कई बार बदला जा चुका है नाम

बता दें कि इस सड़क का नाम कई बार बदला जा चुका है। सबसे पहले इसका नाम उत्तरापथ रखा गया था। बाद में इसे बदलकर सड़क-ए-आजम, बादशाही सड़क, द लॉन्ग रोड रखा गया। वर्तमान में इसे GT रोड के नाम से जाना जाता है। NH-1, NH-2, NH-5 और NH-91 भी इसी का ही हिस्सा है।


About Author
Sanjucta Pandit

Sanjucta Pandit

मैं संयुक्ता पंडित वर्ष 2022 से MP Breaking में बतौर सीनियर कंटेंट राइटर काम कर रही हूँ। डिप्लोमा इन मास कम्युनिकेशन और बीए की पढ़ाई करने के बाद से ही मुझे पत्रकार बनना था। जिसके लिए मैं लगातार मध्य प्रदेश की ऑनलाइन वेब साइट्स लाइव इंडिया, VIP News Channel, Khabar Bharat में काम किया है।पत्रकारिता लोकतंत्र का अघोषित चौथा स्तंभ माना जाता है। जिसका मुख्य काम है लोगों की बात को सरकार तक पहुंचाना। इसलिए मैं पिछले 5 सालों से इस क्षेत्र में कार्य कर रही हुं।

Other Latest News