भारतीय प्रशासनिक सेवा यानी IAS भारत सरकार की सिविल सेवाओं में से एक है, जो कि एक प्रतिष्ठित और महत्वपूर्ण सेवा माना जाता है। आईएएस अफसर बनने के लिए भारत के सबसे कठिन परीक्षा को पास करना पड़ता है, जो जनता से सीधे संपर्क में रहते हैं और उनकी समस्याओं का समाधान करते हैं। बता दें कि IAS अधिकारी बनने का सपना सभी युवाओं का होता है। इसके लिए वह यूपीएससी द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा को पास करते हैं। जिसके बाद गोे अधिकारी बनते हैं। जिसके बाद अपनी जिम्मेदारी को वह ईमानदारी और निष्पक्ष तरीके से निभाते हैं।
अपने क्षेत्र में कानून व्यवस्था को बनाए रखने की जिम्मेदारी आईएएस अधिकारी की होती है। प्राकृतिक आपदा या फिर आपदाकालीन स्थिति में वह राहत कार्य पहुंचने सहित सभी आवश्यक दिशा निर्देश देते हैं।

भारत के पहले IAS अफसर
यूं तो आईएएस अधिकारी बनने का सपना हर किसी का होता है। इसके लिए यूनियन पब्लिक सर्विस कमिशन जो कि देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है पास करना होता है। हालांकि, अधिकतर अभ्यर्थी इसे पहले अटेम्प्ट में क्लियर नहीं कर पाते हैं, लेकिन लगातार मेहनत के बाद एक में एक दिन वह अपने मुकाम तक जरूर पहुंचते हैं। ऐसे में आज हम आपको देश के पहले आईएएस अधिकारी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने आजादी से सालों पहले ब्रिटिश भारत की सिविल सेवा परीक्षा पास की थी।
सत्येंद्रनाथ टैगोर
दरअसल, भारत के पहले इस अफसर का नाम सत्येंद्रनाथ टैगोर था। जिन्होंने साल 1863 में ब्रिटिश भारत की सिविल सेवा परीक्षा पास की थी। इसके बाद उन्हें इस के पद पर नियुक्त किया गया था। उस वक्त सत्येंद्रनाथ टैगोर की उम्र 21 साल थी। अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाते हुए उन्होंने महिलाओं के उत्थान, आजादी, सामाजिक परिवर्तन, विकास और अंग्रेजों के खिलाफ आवाज उठाई थी।
संगीत के थे शौकिन
नाम सुनकर दिमाग में यह बात जरूर आ रही होगी कि सत्येंद्रनाथ टैगोर का रविंद्र नाथ टैगोर से रिश्ता रहा होगा। जी हां! यह बिल्कुल सच है। वह हमारे देश के महान कवि रवींद्रनाथ टैगोर के बड़े भाई थे। आईएएस अधिकारी होने के साथ ही सत्येंद्रनाथ एक संगीतकार भी थे। जिन्होंने बंगाली संगीत में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था। समाज में सुधार के लिए उन्होंने अपने क्षेत्र में काफी अधिक काम किया। लोगों को आजादी दिलाने के लिए अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ जागरूक करने का प्रयास किया। उन्होंने ब्रिटिश शासन के प्रति विरोध प्रदर्शन करते हुए अपनी अलग पहचान बना बनाई थी।