प्रेम कहानियों के इतिहास में भारत पीछे नहीं है, बल्कि इतिहास के पन्नों में ऐसे कई प्रेम कहानी लिखी गई है, जिसे भूल पाना नामुमकिन है। प्रेम एक ऐसी भावना है, जिसके लिए इंसान कुछ भी कर जाने को तैयार हो जाता है। जिससे प्रेम हो उसके बिना एक पल भी चैन नहीं पड़ता है। आंखें उसे ही देखने को तरसती है। कान उसकी ही आवाज को सुनने को तरसते हैं। कहते हैं इश्क और जंग में सब कुछ जायज होता है। ऐसी ही एक लव स्टोरी आज हम आपको बताने जा रहे हैं, जिनका इश्क इतिहास में दर्ज हो चुका है।
आज हम आपको उस भारतीय राजा के बारे में बताएंगे, जिसने विदेशी महिला से शादी की थी। इसके लिए उन्हें तमाम तरह के विरोध और साजिशों का सामना भी करना पड़ा था।
मार्तंड तोंडियन
दरअसल, इस देसी राजा का नाम मार्तंड तोंडियन था, जिनकी विदेशी इश्क मौली थी। वह पहले ऐसे भारतीय राजा थे, जिन्होंने विदेशी महिला से विवाह रचाई थी। बता दें कि राजा मार्तंड दक्षिण भारत की छोटी सी रियासत पुडुकोट्टी के शासक थे। राजा का दिल बहुत बड़ा था। उन्होंने प्रशासनिक कौशल से लेकर सैन्य तक अपनी पहचान बनाई थी। अपने निजी जीवन में लिए गए एक असाधारण निर्णय के लिए वह इतिहास में हमेशा के लिए अमर हो गए।
फैसले को किया नजरअंदाज
राजा मार्तंड का दिल दरअसल ऑस्ट्रेलिया की एक लड़की मौली फिंक पर आ गया था, जिससे वह बेइंतहा मोहब्बत करने लगे। इश्क होने के बाद उन्होंने शादी का मन बनाया, लेकिन अंग्रेजी हुकूमत में ऐसी पाबंदी लगाई थी कि कोई भी भारतीय विदेशी महिला से शादी नहीं करेगा, लेकिन राजा कहां इस फैसले को मानने वाले थे।
शादी का ऐलान
वह मौली के इश्क में इस कदर के गिरफ्तार हो चुके थे कि उन्होंने अंग्रेजों की इस हुकूमत को नजर अंदाज करते हुए निडर होकर अपनी प्रेमिका से शादी करने का फैसला किया। साल 1915 में राजा मार्तंड मौली को साथ लेकर अपनी रियासत पुडुकोट्टी आ गए, जहां उन्होंने शादी का ऐलान किया। इस खबर से अंग्रेज भड़क गए, उन्होंने राजा पर तमाम तरह के दबाव बनाए, ताकि यह शादी रुक जाए। उन्होंने शादी के कार्ड तक छपने नहीं दिए।
छोड़ा अपना मुल्क
इसके बावजूद, राजा ने मौली से शादी कर अपने इश्क को मुकम्मल किया। हालांकि, इसका अंजाम भी उन्हें भुगतना पड़ा। शादी के बाद उन्हें अपना मुल्क, अपनी गद्दी छोड़नी पड़ी। इसके बाद वह हमेशा के लिए फ्रांस चले गए और वहीं पर बस गए, जहां दोनों एक सफल शादीशुदा जिंदगी गुजारें। साल 1928 में उनका निधन हो गया, जिसके बाद उनकी पत्नी मौली ने अंग्रेजों से गुहार लगाई कि वह राजा का अंतिम संस्कार उनके राज्य में होने दें, लेकिन अंग्रेजों ने इस बात की इजाजत नहीं दी। तब मौली ने पति का अंतिम संस्कार लंदन में ही पूरे हिंदू रीति रिवाज से करवाया। जिसका स्मारक आज भी वहां स्थित है। लोग उनकी अमर प्रेम कथा को जानने के लिए वहां जाते हैं।





