इतिहास में पहली बार, भारतीय रेलवे को मुआवजा ना देना पड़ा भारी, ट्रेन हो गई जब्त!

सफर करते समय यह घोषणाएं सुनी होगी कि रेलवे आपकी संपत्ति है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं हो जाता कि आप रेलवे के मालिक बन गए हैं। इस पर मालिकाना हक भारतीय रेलवे और केंद्र सरकार का है।

Sanjucta Pandit
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भारतीय रेलवे (Indian Railways) दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है, जहां रोजाना लगभग 1300 से भी अधिक ट्रेनें संचालित की जाती है। यहां पूर्व से लेकर पश्चिम तक… उत्तर से लेकर दक्षिण तक… हर कोने से देश के छोटे बड़े शहरों और गांव के लिए ट्रेन चलाई जाती हैं। जिनमें राजधानी, दुरंतो, शताब्दी, वंदे भारत सहित लोकल ट्रेन में शामिल है। लोग अपनी सुविधा अनुसार ट्रेन का चयन करते हैं। जिन लोगों को कम दूरी तक जाना होता है या छोटे स्टेशनों पर उतरना होता है, वह अक्सर लोकल ट्रेनों में सफर करते हैं। वहीं, जिन लोगों को लंबा सफर करना होता है, वह एक्सप्रेस या फिर मेल ट्रेन का चयन करते हैं। जिसके लिए उन्हें टिकट का किराया भी अधिक देना पड़ता है। सफर के दौरान ट्रेन कई राज्यों से होकर गुजरती है। पहाड़, जंगल, नदियों से होकर गुजरने वाली ट्रेन से बाहर का नजारा काफी खूबसूरत होता है।

रेलवे द्वारा आए दिन अपने यात्रियों के लिए नियमों में बदलाव किए जाते हैं, ताकि उन्हें सुविधा मिल सके पहले की अपेक्षा अब बहुत सारे नियम बदल चुके हैं। जिनके बारे में जानकारी ना रखी जाए, तो इसका जुर्माना भी भरना पड़ सकता है।

इतिहास में पहली बार

आपने कई बार सफर करते समय यह घोषणाएं सुनी होगी कि रेलवे आपकी संपत्ति है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं हो जाता कि आप रेलवे के मालिक बन गए हैं। इस पर मालिकाना हक भारतीय रेलवे और केंद्र सरकार का है, लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि रेलवे की इस गलती के कारण एक व्यक्ति कुछ समय के लिए पूरी ट्रेन का मालिक बन गया था। यह जानकर आपको हैरानी जरूर हो रही होगी, लेकिन यह बिल्कुल सच है। रेलवे की इस गलती ने उसे शख्स को पूरे ट्रेन का मालिक बना दिया था, जिनका नाम संपूर्ण सिंह है, जो पंजाब के लुधियाना के कटाणा गांव के रहने वाले मामूली से किसान हैं। हालांकि, यह मालिकाना हक चंद घंटे के लिए ही रहा।

कोर्ट ने दिया यह आदेश

दरअसल, कोर्ट ने रेलवे को यह आदेश दिया था कि वह 2015 तक संपूर्ण सिंह को यह रकम भुगतान करें, लेकिन ऐसा संभव नहीं हो पाया, तब 2017 में जिला और सत्र न्यायाधीश जसपाल वर्मा ने लुधियाना स्टेशन पर ट्रेन को कुर्क करने का आदेश दे दिया। इस अनोखे आदेश के बाद किसान स्टेशन पहुंचा और अमृतसर स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस को कुर्क कर लिया। जिसके बाद वह उस ट्रेन का मालिक बन गया।

हालांकि, कुछ देर बाद सेक्शन इंजीनियर ने कोर्ट का सहारा लेकर ट्रेन को मुक्त कर लिया, लेकिन यह मामला चर्चा का विषय बन गया। इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ था, जब कोई व्यक्ति पूरी ट्रेन का मालिक बन गया था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह मामला आज भी कोर्ट में विचाराधीन है।

जानें पूरा मामला

दिल्ली से अमृतसर जाने वाली स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस कुछ घंटे के लिए संपूर्ण सिंह की हो गई थी। बता दें कि लुधियाना चंडीगढ़ रेल लाइन के बनने के लिए साल 2007 में रेलवे ने किसानों से जमीन खरीदी थी, तब संपूर्ण सिंह की जमीन भी रेलवे लाइन के बीच में आ गई थी। जिसके लिए रेलवे द्वारा 25 लाख रुपए प्रति एकड़ में उनकी जमीन का अधिग्रहण किया गया था, लेकिन कुछ दिन बाद रेलवे ने उतनी ही बड़ी जमीन नजदीक के गांव में 71 लाख रुपए प्रति एकड़ में अधिग्रहित की। इसकी जानकारी संपूर्ण सिंह को लगते ही उन्होंने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जहां तमाम दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने रेलवे के खिलाफ अपना फैसला सुनाते हुए मुआवजे की रकम 25 लाख से बढ़कर 50 लाख करने का आदेश दिया। बाद में उसे बढ़ाकर 1.47 करोड रुपए कर दी गई।

(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है।)


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Sanjucta Pandit

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मैं संयुक्ता पंडित वर्ष 2022 से MP Breaking में बतौर सीनियर कंटेंट राइटर काम कर रही हूँ। डिप्लोमा इन मास कम्युनिकेशन और बीए की पढ़ाई करने के बाद से ही मुझे पत्रकार बनना था। जिसके लिए मैं लगातार मध्य प्रदेश की ऑनलाइन वेब साइट्स लाइव इंडिया, VIP News Channel, Khabar Bharat में काम किया है।पत्रकारिता लोकतंत्र का अघोषित चौथा स्तंभ माना जाता है। जिसका मुख्य काम है लोगों की बात को सरकार तक पहुंचाना। इसलिए मैं पिछले 5 सालों से इस क्षेत्र में कार्य कर रही हुं।

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