Employees DA Hike 2024 : हाल ही में दिवाली के मौके पर केन्द्र की मोदी सरकार द्वारा 1 करोड़ से अधिक केन्द्रीय कर्मचारियों पेंशनरों का महंगाई भत्ता बढ़ाया गया था, इसके बाद राज्यों ने भी वृद्धि करना शुरू कर दिया है। अधिकतर राज्यों में जुलाई 2024 से डीए में वृद्धि की गई है और अक्टूबर में इसका लाभ भी मिलना शुरू हो गया है। वही त्रिपुरा और पंजाब में वृद्धि की गई है, लेकिन नई दरें नवंबर 2024 से लागू होंगी, ऐसे में दिसंबर से खाते में सैलरी बढ़कर आएगी।
त्रिपुरा सरकार ने 7वें वेतन आयोग के तहत 1.88 लाख कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के महंगाई भत्ते और महंगाई राहत (डीआर)में 5 फीसदी की वृद्धि की है। नई दरों के बाद महंगाई भत्ता 25 फीसदी से बढ़कर 30 फीसदी हो गया है।यह बढ़ोतरी 1 नवंबर 2024 से लागू होगी, ऐसे में दिसंबर से खाते में सैलरी बढ़कर आएगी। इससे राज्य के खजाने से 500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च आएगा।इससे 1.6 लाख से अधिक सरकारी कर्मचारियों और 82,000 पेंशनभोगी लाभान्वित होंगे।
पंजाब कर्मचारियों को भी नवंबर से डीए का लाभ
हाल ही में पंजाब की भगवंत मान सरकार ने महंगाई भत्ते और महंगाई राहत में चार फीसदी की बढ़ोतरी की है, जिसके बाद डीए 38% से बढ़कर 42% पहुंच गया है।नई दरें 1 नवंबर 2024 से लागू होंगी, ऐसे में दिसंबर से खाते में सैलरी बढ़कर आएगी। पंजाब सरकार के इस निर्णय से 6.50 लाख से अधिक कर्मचारियों पेंशनर्स को लाभ मिलेगा।इससे पहले दिसंबर 2023 में 4% DA बढ़ाया गया था, जिसके बाद डीए 34% से बढ़कर 38% हो गया था।अब फिर राज्य सरकार ने 4% वृद्धि की है, हालांकि केन्द्र से तुलना करें तो राज्य कर्मियों का डीए अब भी 11% कम है, क्योंकि वर्तमान में केन्द्रीय कर्मचारियों को 53% डीए का लाभ मिल रहा है।
MP पेंशनर्स की अक्टूबर से महंगाई राहत में वृद्धि
मध्य प्रदेश सरकार ने 7वें वेतनमान का लाभ ले रहे पेंशनर्स की महंगाई राहत में 4% की वृद्धि गई है, जिसके बाद डीआर 46% से बढ़कर 50% हो गई है वही छठवें वेतनमान का लाभ ले रहे पेंशनरों की महंगाई राहत में 9% वृद्धि की गई है, जिसके बाद डीआर 230% से बढ़कर 239% हो गई है।नई दरें अक्टूबर 2024 से लागू होंगी, ऐसे में नवंबर से खाते में पेंशन बढ़कर आएगी। इससे 4.50 लाख पेंशनर्स को लाभ मिलेगा।बता दे कि वर्ष 2000 के पहले सेवानिवृत्त हुए कर्मचारियों की पेंशन और राहत का 74% वित्तीय भार मध्य प्रदेश और 26% छत्तीसगढ़ उठाती है, ऐसे में मध्यप्रदेश राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 की धारा 49(6) की संवैधानिक बाध्यता के कारण छत्तीसगढ़ सरकार से अनुमति लेना अनिवार्य है। मप्र में पेंशनर्स की न्यूनतम पेंशन 7750 रुपए और अधिकतम 1 लाख 10 हजार रुपए तक है।