कर्मचारियों पेंशनरों को तोहफा, मिलेगा बोनस और अनुग्रह राशि का लाभ, खाते में आएगी इतनी राशि, वित्त विभाग का आदेश जारी

ममता सरकार ने कर्मचारियों को 6,800 रुपये का तदर्थ बोनस और पेंशनभोगियों को 3,500 रुपये की अनुग्रह राशि देने का ऐलान किया है।इसके अलावा त्योहारी अग्रिम राशि बढ़ाने और फेस्टिवल भत्ते देने का भी फैसला किया है।

Pooja Khodani
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West Bengal Employees : पश्चिम बंगाल के सरकारी कर्मचारियों के लिए खुशखबरी है।ईद से पहले आज रंगपंचमी के मौके पर ममता बनर्जी सरकार ने कर्मचारियों को बोनस देने का ऐलान किया है।ममता बनर्जी सरकार ने उन सभी कर्मचारियों को 6,800 रुपये का एडहोक बोनस देने का फैसला किया है, जो किसी उत्पादकता से संबद्ध किसी बोनस प्रणाली के अंतर्गत नहीं आते हैं।

इस संबंध में वित्त विभाग द्वारा मंगलवार को आदेश भी जारी कर दिया गया है।आदेश के मुताबिक, ऐसे कर्मचारियों जिनकी मासिक सैलरी मार्च तक 44,000 रुपये से कम है, उन्हें राज्य सरकार द्वारा यह स्पेशल बोनस दिया जाएगा। मुस्लिम समुदाय के कर्मचारियों को ईद-उल-फितर से पहले बोनस मिलेगा, जबकि बाकी दूसरों को 15-19 सितंबर की अवधि में बोनस मिलेगा।

पेंशनर्स को सौगात, अग्रिम राशि का भी ऐलान

राज्य सरकार ने पेंशनभोगियों को 3,500 रुपये की अनुग्रह राशि देने का भी फैसला किया है।इसके अलावा जिन कर्मचारियों का मासिक वेतन 44,000 से 52,000 रुपये के बीच है, उन्हें इस साल ब्याज मुक्त त्योहार अग्रिम के रूप में 20,000 रुपये मिलेगा। पिछले वर्ष वेतन सीमा 42,000 से 50,000 रुपये प्रति माह थी। राज्य सरकार ने  31 मार्च 2025 तक रिटायर होने कर्मचारियों को भी उत्सव भत्ता देने का ऐलान किया है।

अप्रैल से मिलेगा बढ़े हुए महंगाई भत्ते का लाभ

  • गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल सरकार ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए 3.89 लाख करोड़ रुपये का बजट पेश करते हुए सरकारी कर्मचारियों को भी सौगात दी थी।वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने राज्य के कर्मचारियों पेंशनरों का 4% महंगाई भत्ता बढ़ाने का ऐलान किया था, जिसके बाद डीए 14% से बढ़कर 18% हो गया है।
  • नई दरें एक अप्रैल 2025 प्रभावी होगी, ऐसे में मई में खाते में राशि बढ़कर आएगी।इससे राज्य 10 लाख से अधिक कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को लाभ मिलेगा। हालांकि इस वृद्धि के बाद भी अभी केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारियों के बीच डीए का अंतर 35% है।

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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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