होली से पहले कर्मचारियों को तोहफा, अब ग्रेच्युटी का लाभ जनवरी 2024 से , कैबिनेट की मंजूरी, जानें डिटेल्स

ग्रेच्युटी कर्मचारियों को ग्रेच्युटी एक्ट के तहत रिटायरमेंट पर दिया जाने वाला एक लाभ है। किसी भी कंपनी में लगातार 5 साल काम करने पर कर्मचारी को ग्रेच्युटी का लाभ दिया जाता है।

Pooja Khodani
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Rajasthan Employees Gratuity: राजस्थान के सरकारी कर्मचारियों के लिए खुशखबरी है। शनिवार को भजनलाल शर्मा की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में ग्रेच्युटी को लेकर बड़ा फैसला लिया गया । राज्य सरकार ने कर्मचारियों की रिटायरमेंट ग्रेच्युटी अथवा डेथ ग्रेच्युटी की अधिकतम सीमा 20 लाख से बढ़ाकर 25 लाख कर दी है।

दरअसल, बजट वर्ष 2025-26 की घोषणा को पूरा करते हुए अब  राजस्थान सरकार के कर्मचारियों को केन्द्र सरकार के अनुरूप ही 1 जनवरी से बढ़ी हुई ग्रेच्युटी का लाभ देय होगा। इस सम्बन्ध में राजस्थान सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1996 में संशोधन की पूर्व में जारी अधिसूचना अब 01 जनवरी 2024 से प्रभावी मानी जाएगी। कैबिनेट  के इस निर्णय से जनवरी 2024 से मार्च 2024 के बीच सेवानिवृत्त हुए राज्य कार्मिक लाभान्वित होंगे और राजकोष पर 24 करोड़ रुपए का अतिरिक्त वित्तीय भार आएगा।

जानिए क्या होती है ग्रेच्युटी

  • ग्रेच्युटी कर्मचारियों को ग्रेच्युटी एक्ट के तहत रिटायरमेंट पर दिया जाने वाला एक लाभ है। किसी भी कंपनी में लगातार 5 साल काम करने पर कर्मचारी को ग्रेच्युटी का लाभ दिया जाता है।
  • पेमेंट ऑफ ग्रेच्‍युटी एक्‍ट, 1972 के तहत जिस भी कंपनी में 10 से अधिक कर्मचारी काम करते हैं उसे अपने कर्मचारियों को ग्रेच्युटी का लाभ देना होता है।
  • आमतौर पर यह पैसा तब मिलता है जब वो कर्मचारी नौकरी छोड़ता है या फिर वह रिटायर होता है। कंपनी में कार्य करते समय अगर कर्मचारी की मौत हो जाती है तो ग्रेच्युटी की रकम नॉमिनी को मिलती है। यहां 5 साल का नियम लागू नहीं होता है।

प्राध्यापक अब कहलाएंगे सहायक आचार्य, सह-आचार्य

  • राजस्थान स्वेच्छया ग्रामीण शिक्षा सेवा नियम, 2010 (आरवीआरईएस) के अंतर्गत नियुक्त शिक्षकों के पदनाम प्राध्यापक के स्थान पर अब सहायक आचार्य, सह-आचार्य एवं आचार्य होंगे।
  • इस निर्णय से राजस्थान स्वेच्छया ग्रामीण शिक्षा सेवा में शिक्षकों के पदनाम यूजीसी रेग्युलेशन, 2010 एवं समान सेवा राजस्थान शिक्षा सेवा (महाविद्यालय शाखा) के अनुरूप हो जाएंगे।
  • वर्ष 2007 में समाप्त हो चुके जनशक्ति एवं गजेटियर्स विभाग से जुड़े राजस्थान जिला गजेटियर्स सेवा नियम, 1980 को विलोपित करने का निर्णय भी आज किया गया।

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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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