Gilharaj Temple : देशभर में ऐसे कई सरे मंदिर मौजूद है जिनकी मान्यता काफी ज्यादा है। इन्हीं में से एक मंदिर है जहां पवनपुत्र हनुमान की अलग रूप में पूजा की जाती है। अभी तक अपने हनुमान जी की पूजा वानर के रूप में की जानी की बात अपने सुनी होगी लेकिन क्या अपने सुना है हनुमान जी की पूजा गिलहरी के रूप में भी की जाती है? नहीं जानते होंगे आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहां भगवान हनुमान को वानर नहीं बल्कि एक गिलहरी के रूप में पूजा जाता है। चलिए जानते हैं उस मंदिर के बारे में –
हम जिस मंदिर की बात कर रहे हैं वो उत्तरप्रदेश के अलीगढ़ में मौजूद है। जैसा की आप सभी जानते है हनुमान जी धरती पर एक मात्र ऐसे देवता जिन्हें जीवित माना जाता है। देशभर में उनके कई मंदिर मौजूद है जहां की मान्यता काफी ज्यादा है लेकिन इन्हीं में से एक मंदिर है जो अलीगढ़ में मौजूद है। उस मंदिर में गिलहरी के रूप में उनकी पूजा की जाती है। इस मंदिर में साल भर में हजारों श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं। यहां हनुमान जी की मूर्ति में उनकी आंखे साफ दिखाई देती है। इस मंदिर को गिलहराज मंदिर के नाम से पहचाना जाता है।
हनुमान जी के इस रूप के बारे में कई वैज्ञानिकों ने पता लगाया तो ये कहा जाता है कि सिद्ध संत श्री महेंद्रनाथ योगी जी महाराज को सपने में भगवान हनुमान ने दर्शन दिये थे। तभी से यहां हनुमान जी की पूजा गिलहरी के रूप में की जाती है। लेकिन मंदिर का निर्माण बाद में किया गया। कहा जाता है कि इस मंदिर के अचल ताल पर भगवान श्रीकृष्ण के दाऊ बलराम ने हनुमान की गिलहरी के रूप में पूजा की थी। इस मंदिर में हनुमान जी को चोला चढाने के लिए भक्तों की लाइन लगी रहती है। मान्यता ये भी है कि जो भी इंसान इस मंदिर में 41 दिन तक सलंग हनुमान जी पूजा करेगा उसके सभी कष्ट का निवारण हो जाएगा। इस मंदिर का निर्माण नाथ संप्रदाय के एक महंत ने करवाया था।