हिमाचल प्रदेश में कर्मचारियों को रिटायरमेंट पर मिलने वाले लीव एनकैशमेंट के लिए 12 मार्च 2013 से लागू वन टाइम सेटेलमेंट फॉर्मूले को समाप्त कर दिया गया है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद सरकार को यह महत्वपूर्ण फैसला लेना पड़ा है। इसके लिए वित्त विभाग के सचिव अक्षय सूद की ओर से कार्यालय आदेश जारी किया गया। जिसमें हाई कोर्ट के आदेश को सभी विभागों को ध्यान में लाने के निर्देश दिए गए हैं।
कार्यालय आदेश जारी
कार्यालय आदेश जारी किए जाने के साथ ही अब पेंशनर्स को लीव एनकैशमेंट के मामले में वन टाइम सेटेलमेंट फार्मूले के तहत थी। एक बार मिलने वाली एकमुश्त धनराशि की व्यवस्था को बदल दिया जाएगा। इस फैसले के बाद अब 2016 के बाद रिटायर होने वाले सभी कर्मचारियों के लिए लीव एनकैशमेंट के भुगतान का रास्ता भी साफ हो गया है।
इससे पहले हिमाचल सरकार द्वारा 1 जनवरी 2016 को नया वेतन आयोग लागू होने के साथ ही डीसीआरजी को भी संशोधित किया गया था। जिसके बाद लीव एनकैशमेंट भी संशोधित वेतनमान के जरिए ही भुगतान किए जाएंगे।
मिलेगा लिव-एनकैशमेंट का लाभ
कार्यालय ज्ञापन जारी करने के साथ ही 1 जनवरी 2016 से सेवानिवृत पेंशनर्स को रिवाइज्ड पे स्केल के वेतनमान के अनुसार ही डीसीआरजी की तर्ज पर लिव-एनकैशमेंट का लाभ दिया जाएगा। 3 जनवरी 2022 को लागू हुए नए वेतनमान के बाद वित्त विभाग द्वारा पेंशनर्स के लिए भी जनवरी 2016 के रिटायर हुए कर्मचारियों के पेंशन रिवाइज करने के निर्देश फरवरी में दिए गए।
हालांकि पे स्केल रिवाइज होने के बाद इससे पहले सेवानिवृत्त हो चुके कर्मचारियों को लीव एनकैशमेंट का लाभ नहीं दिया जाता था। इस वजह से अमिता गुप्ता द्वारा हाईकोर्ट में इस मामले को चुनौती दी गई थी। अब कर्मचारी के पक्ष में हाई कोर्ट द्वारा फैसला आने के बाद 2016 के बाद रिटायर हुए पेंशनर्स को राहत मिली है। इसके साथ ही उन्हें अर्जित अवकाश के नकदीकरण का भुगतान किया जाना है।
अमिता गुप्ता ने दी थी फार्मूले को चुनौती
बता दे सरकारी कर्मचारी को 10 महीने की बेसिक पे के बराबर रिटायरमेंट पर लीव एनकैशमेंट का लाभ दिया जाता है। 12 मार्च 2013 को एक नया फार्मूला जारी किया गया था। जिसके बाद 30 सितंबर 2020 को सीनियर आर्किटेक्ट के पद से रिटायर हुई अमिता गुप्ता द्वारा इस फार्मूले को चुनौती दी गई थी।
हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को दिए निर्देश
वहीं हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार को निर्देश दिए थे कि सभी पेंशनर्स को इसी अनुसार एनकैशमेंट का भुगतान किया जाए ताकि अनावश्यक लिटिगेशन से बचा जा सके। वहीं हाई कोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार के वित्त विभाग द्वारा अप्रैल 2023 को कार्यालय ज्ञापन जारी कर दिया गया है।