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Wed, Dec 17, 2025

ईडी के समन के बावजूद पेश नहीं हुए गूगल-मेटा के अधिकारी, अब 28 जुलाई को होगी पूछताछ

Written by:Vijay Choudhary
Published:
अवैध ऑनलाइन सट्टेबाजी और जुए के प्रचार में शामिल मनी लॉन्ड्रिंग केस में टेक दिग्गजों पर शिकंजा कसने की तैयारी
ईडी के समन के बावजूद पेश नहीं हुए गूगल-मेटा के अधिकारी, अब 28 जुलाई को होगी पूछताछ

ED का गुगल और मेटा को समन

देश में ऑनलाइन सट्टेबाजी और जुए से जुड़े अवैध प्रचारों के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच लगातार तेज होती जा रही है। इसी कड़ी में सोमवार को गूगल और मेटा (फेसबुक की मूल कंपनी) के अधिकारियों को पूछताछ के लिए बुलाया गया था, लेकिन दोनों कंपनियों के प्रतिनिधि ईडी के समक्ष पेश नहीं हुए। इसके बाद अब ईडी ने उन्हें 28 जुलाई को फिर से पेश होने के लिए समन जारी किया है।

क्या है मामला?

ईडी देशभर में उन ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स की जांच कर रहा है, जो अवैध तरीके से सट्टेबाजी और जुए को बढ़ावा दे रहे हैं। आरोप है कि ये प्लेटफॉर्म सोशल मीडिया और ऑनलाइन विज्ञापनों के माध्यम से आम लोगों को लुभाते हैं और इसके जरिये बड़े पैमाने पर मनी लॉन्ड्रिंग, टैक्स चोरी और साइबर फ्रॉड को अंजाम दिया जा रहा है।

ईडी अब यह जांच कर रहा है कि कैसे इन अवैध प्लेटफॉर्म्स को गूगल, मेटा जैसे तकनीकी दिग्गजों के माध्यम से विज्ञापन और प्रमोशन की मंजूरी मिली। साथ ही एजेंसी यह भी जानना चाहती है कि इस प्रक्रिया में किसी नियम-कानून का उल्लंघन तो नहीं हुआ।

कंपनियों ने मांगा और समय

सूत्रों के मुताबिक, गूगल और मेटा ने ईडी से अधिक समय की मांग की है। दोनों कंपनियों ने अपने जवाब में कहा है कि संबंधित दस्तावेजों और आंतरिक जानकारियों को जुटाने में उन्हें समय लग रहा है, इसलिए वे फिलहाल पेश नहीं हो पा रहे हैं। इसके बाद ईडी ने उन्हें एक अतिरिक्त सप्ताह की मोहलत देते हुए 28 जुलाई 2025 को फिर से पेश होने का आदेश दिया है।

सेलेब्रिटी और कई हस्तियां भी जांच के घेरे में

इस केस में सिर्फ तकनीकी कंपनियां ही नहीं, बल्कि कुछ बड़े बॉलीवुड सितारे, सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर और खिलाड़ी भी ईडी के रडार पर हैं। सूत्रों के अनुसार, इन लोगों ने कथित रूप से अवैध सट्टा ऐप्स का प्रचार किया है या उनके साथ किसी प्रकार की साझेदारी की है।

ईडी इन प्रमोशनों के एवज में हुए भुगतान और समझौतों की जांच कर रही है। यह भी पता लगाया जा रहा है कि क्या इन सेलेब्रिटीज को प्रचार करते वक्त पता था कि वे गैरकानूनी प्लेटफॉर्म्स को बढ़ावा दे रहे हैं।

महादेव बुक एप मामला है जांच का केंद्र

गौरतलब है कि इस पूरे मामले की जड़ में छत्तीसगढ़ से संचालित ‘महादेव ऑनलाइन बुक ऐप’ भी शामिल है। इस ऐप के जरिए लाखों लोगों से ठगी की गई थी और जांच एजेंसियों के अनुसार, इससे जुड़े नेटवर्क ने सैकड़ों करोड़ रुपये का हवाला और मनी लॉन्ड्रिंग रूट तैयार किया था। ईडी ने अब तक इस केस में कई आरोपियों को गिरफ्तार किया है, साथ ही कई जगहों पर छापेमारी और डिजिटल फॉरेंसिक जांच की जा चुकी है।

ईडी की मंशा साफ, जवाबदेही तय होगी

ईडी अब यह सुनिश्चित करना चाहती है कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और सोशल मीडिया कंपनियां किस आधार पर इन विज्ञापनों को अनुमति देती हैं।
क्या कंपनियों ने प्रमोशन से पहले उसकी विधिक जांच की थी?, क्या इन कंपनियों को भुगतान के स्रोत की जानकारी थी?, क्या एड पॉलिसी का उल्लंघन हुआ? अगर इन सवालों के संतोषजनक जवाब नहीं मिलते हैं, तो एजेंसी इन कंपनियों के भारतीय प्रतिनिधियों से गहन पूछताछ कर सकती है और कानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया भी शुरू हो सकती है।

गूगल और मेटा का ईडी के समन पर अनुपस्थित रहना इस केस में एक नया मोड़ है। जहां एक ओर इन कंपनियों ने प्रक्रिया में सहयोग की बात कही है, वहीं ईडी का रुख यह दिखाता है कि सरकार अब डिजिटल विज्ञापन माध्यमों की जवाबदेही तय करने की दिशा में गंभीर हो चुकी है। 28 जुलाई को होने वाली सुनवाई और पूछताछ से यह तय होगा कि इन तकनीकी दिग्गजों की भूमिका केवल विज्ञापन तक सीमित थी या वे भी जिम्मेदारी से नहीं बचे रह सकते।