गोवर्धन पूजा और अन्नकूट का कृषि से है गहरा नाता, श्रीकृष्ण को अर्पित किया जाता है नई फसल के अनाज का भोग, जानिए उद्देश्य और महत्व

अन्नकूट पर्व पर भगवान श्रीकृष्ण की गोवर्धन लीला का स्मरण किया जाता है। यह पर्व प्रकृति और कृषि के प्रति आभार व्यक्त करने का एक माध्यम है, जिसमें लोग नई फसल का भोग अर्पित करते हैं। यह दिन प्रकृति के प्रति कृतज्ञता ज़ाहिर करने और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण का भी प्रतीक है।

Govardhan Puja

Govardhan Puja, A Celebration of Gratitude and Harvest : आज देशभर में श्रद्धा और भक्ति से गोवर्धन पूजा मनाई जा रही है। गोवर्धन पूजा जिसे अन्नकूट या गोवर्धन उत्सव भी कहा जाता है, भारत के विशेषकर उत्तर प्रदेश में मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्योहार है। यह पर्व दीवाली के अगले दिन मनाया जाएगा। इस दिन विशेष रूप से भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है, जिन्होंने ब्रजवासियों को इंद्र देव के प्रकोप से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाया था।

इस दिन श्रद्धालु गाय के गोबर से भगवान श्रीकृष्ण की आकृति बनाते हैं और विधिपूर्वक उनकी पूजा करते हैं। मान्यता है कि इस पूजा से सुख-समृद्धि और जीवन में सफलता प्राप्त होती है। गोवर्धन पूजा के अवसर पर कढ़ी चावल और अन्नकूट का भोग अर्पित करने की परंपरा भी है।

क्यों मनाई जाती है गोवर्धन पूजा

पौराणिक कथा अनुसार, जब इंद्रदेव ने गोकुलवासियों से नाराज होकर मूसलधार बारिश करने का निश्चय किया, तब भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाकर गांववासियों को बारिश से बचाया। इसके बाद से भक्त श्रीकृष्ण की इस लीला की याद में गोवर्धन पूजा मनाते हैं। इस घटना के माध्यम से यह दर्शाया गया कि भगवान अपने भक्तों की रक्षा करते हैं।

अन्नकूट का महत्व

गोवर्धन पूजा को अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इस दिन भगवान को विभिन्न प्रकार के अन्न और फल चढ़ाए जाते हैं। अन्नकूट का अर्थ है ‘अन्न का ढेर’, और यह इस बात का प्रतीक है कि भगवान ने हमें अपने आशीर्वाद से अन्न और खाद्य सामग्री प्रदान की है। इस दिन कई स्थानों पर कढ़ी चावल बनाकर भगवान को भोग के रूप में अर्पित किया जाता है। इसी के साथ विभिन्न व्यंजनों का प्रसाद चढ़ाया जाता है। यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है और इसे घरों में खुशी और समृद्धि लाने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।

अन्नकूट का कृषि से संबंध

गोवर्धन पूजा, जिसे अन्नकूट या गोवर्धन उत्सव भी कहा जाता है, का कृषि से गहरा संबंध है। गोवर्धन पूजा या अन्नकूट का एक प्रमुख उद्देश्य कृषि उत्पादन के प्रति आभार व्यक्त करना है। किसान इस दिन अपनी फसलों के अच्छे उत्पादन के लिए भगवान कृष्ण और गोवर्धन पर्वत का धन्यवाद करते हैं। यह समय नए अनाज के भोग अर्पित करने का भी होता है, जो फसल कटाई के बाद का समय होता है।

गोवर्धन पूजा प्राकृतिक संसाधनों विशेषकर भूमि और जल के संरक्षण का प्रतीक है। भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को इंद्र के प्रकोप से बचाने के लिए उठाया, जो यह दर्शाता है कि प्रकृति के तत्वों का सम्मान और संरक्षण आवश्यक है। यह संदेश आज के समय में भी कृषि के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि sustainable agriculture और प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण वर्तमान कृषि प्रथाओं का एक महत्वपूर्ण पहलू है। गोवर्धन पूजा के दौरान, समुदाय के लोग मिलकर भोग तैयार करते हैं और साझा भोजन का आनंद लेते हैं। यह सामूहिकता कृषि के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण है, जहां किसान सहयोग और एकजुटता के साथ काम करते हैं। इससे कृषि में सामुदायिक सहयोग का महत्व भी उजागर होता है।
गोवर्धन पूजा में अन्य कृषि देवताओं की भी पूजा की जाती है, जैसे कि सरस्वती देवी और अन्नपूर्णा देवी, जो फसल की वृद्धि और समृद्धि के प्रतीक हैं। इस दिन विशेष रूप से फसलों की सुरक्षा और वृद्धि के लिए प्रार्थना की जाती है।

परंपराएं

गोवर्धन पूजा के दिन भक्त गोबर से गोवर्धन पर्वत का आकार बनाते हैं। इसे घर के आंगन या मंदिर में स्थापित किया जाता है और फिर इसकी पूजा की जाती है। यह परंपरा प्रकृति के प्रति सम्मान और कृतज्ञता प्रकट करती है। इस दिन विशेष रूप से ‘अन्नकूट’ या ‘गोवर्धन पूजा का भोग’ तैयार किया जाता है। इसमें विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ जैसे चावल, दाल, सब्जियाँ और मिठाइयाँ शामिल होती हैं। भक्त इस भोग को भगवान को अर्पित करते हैं और फिर खुद भी उसका सेवन करते हैं। कई स्थानों पर गोवर्धन पूजा के दौरान झांकियां निकाली जाती हैं, जिसमें भगवान कृष्ण की लीलाओं का प्रदर्शन होता है। कई जगह सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं जिसमें नृत्य, गाने और नाटक शामिल होते हैं।


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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