कैबिनेट के फैसले से कर्मचारियों में बढ़ी नाराजगी, 8 अगस्त को बड़ी बैठक, जानें ग्रेड पे मामले पर नई अपडेट

Pooja Khodani
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देहरादून, डेस्क रिपोर्ट। एक तरफ सरकारी कर्मचारियों के उत्तराखंड में नए वेतनमान के एरियर के भुगतान और 3% महंगाई भत्ते को बढ़ाने की अटकले तेज है वही दूसरी तरफ पुष्कर धामी सरकार के सरकारी विभागों के वेतनमान को के ग्रेड पे को डाउन ग्रेड करने संबंधी कैबिनेट फैसले को लेकर कर्मचारियों ने मोर्चा खोल दिया है।8 अगस्त सोमवार को सचिवालय संघ , उत्तराखंड अधिकारी, कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति के घटक संघों ने एक अहम बैठक बुलाई है, जिसमें आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जाएगी।

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सचिवालय संघ का कहना है कि कैबिनेट बैठक में अब वेतन विसंगति समिति की संस्तुति पर डाउनग्रेड को मंजूरी दे दी गई है, ऐसे में कर्मचारियों के सामने आंदोलन का रास्ता ही बचा है। संघ ने आम सभा के जरिए आंदोलन की रूपरेखा तैयार करने का फैसला लिया है। वही उत्तराखंड डिप्लोमा इंजीनियर्स महासंघ ने भी विरोध जताया है और 7 अगस्त से चरणबद्ध आंदोलन का ऐलान किया है। 7 अगस्त को डिप्लोमा इंजीनियर काला फीता बांधकर डाउनग्रेड वेतन से संबंधी कैबिनेट का विरोध करेंगे।

उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति का कहना है कि विधानसभा चुनाव से पहले समिति की मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव से वार्ता हुई थीं, जिसमें कई बिन्दुओं पर चर्चा हुई थी और इस संबंधन शासन ने आदेश भी जारी कर दिए गए और अभी कई जारी होना बाकी है, लेकिन जो जारी हुए है, जिसमें कई विसंगतियां है। डाउन ग्रेड वेतन के निर्णय में कहीं भी यह स्पष्ट नहीं है कि वर्तमान में कार्यरत कार्मिकों के पदोन्नति के पदों पर वर्तमान व्यवस्था एवं नियमों के अंतर्गत पदोन्नतियां की जाती रहेंगी या नहीं।

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बैठक में डाउन ग्रेड वेतन का पुरजोर विरोध करने के साथ ही पदोन्नति में शिथिलीकरण बढ़ाने, एसीपी का लाभ देने, गोल्डन कार्ड की विसंगतियों का निराकरण करने, पुरानी पेंशन बहाली करने सहित अन्य सामूहिक मांगों पर पूर्व में हुए समझौते के अनुरूप शासनादेश जारी न होने के विरोध में भावी प्रदेशव्यापी आंदोलन की रूपरेखा तय की जाएगी। समिति ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने डाउन ग्रेड वेतन के निर्णय को वापस नहीं लिया तो इस बार की लड़ाई आर पार की होगी।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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