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Wed, Dec 17, 2025

ग्रेट निकोबार द्वीप प्रोजेक्ट पर बवाल, राहुल गांधी ने आदिवासी अधिकारों के उल्लंघन की लगाया आरोप

Written by:Mini Pandey
Published:
सोनिया गांधी ने अपने लेख में कहा कि यह परियोजना निकोबारी आदिवासियों के पैतृक गांवों को प्रभावित करेगी, जो 2004 के हिंद महासागर सुनामी के दौरान विस्थापित हुए थे।
ग्रेट निकोबार द्वीप प्रोजेक्ट पर बवाल, राहुल गांधी ने आदिवासी अधिकारों के उल्लंघन की लगाया आरोप

कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने ग्रेट निकोबार द्वीप परियोजना को आदिवासी अधिकारों का उल्लंघन और पर्यावरण के लिए खतरा बताते हुए इसे एक गलत कदम करार दिया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी के एक लेख को साझा किया, जिसमें निकोबार के लोगों और इसके नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र पर इस परियोजना के दुष्प्रभावों को उजागर किया गया है। यह परियोजना एक ट्रांसशिपमेंट पोर्ट, अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, ऊर्जा संयंत्र और टाउनशिप के निर्माण के लिए भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी पहल है।

राहुल गांधी ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, “ग्रेट निकोबार द्वीप परियोजना एक भटकाव है, जो आदिवासी अधिकारों को कुचल रही है और कानूनी व विचार-विमर्श प्रक्रियाओं का मजाक उड़ा रही है।” सोनिया गांधी ने द हिंदू में प्रकाशित अपने संपादकीय में इस परियोजना को विश्व के सबसे अनूठे वनस्पति और जीव-जंतु पारिस्थितिकी तंत्र के लिए खतरा बताया, जो प्राकृतिक आपदाओं के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है। उन्होंने इस परियोजना की 72,000 करोड़ रुपये की लागत को गलत दिशा में निवेश करार दिया।

पैतृक गांवों को करेगी प्रभावित

सोनिया गांधी ने अपने लेख में कहा कि यह परियोजना निकोबारी आदिवासियों के पैतृक गांवों को प्रभावित करेगी, जो 2004 के हिंद महासागर सुनामी के दौरान विस्थापित हुए थे। अब यह परियोजना इन समुदायों को स्थायी रूप से उजाड़ देगी। उन्होंने विशेष रूप से शोम्पेन जनजाति पर पड़ने वाले खतरे पर जोर दिया, जिनके लिए केंद्रीय जनजातीय मंत्रालय की नीति में उनकी भलाई और अखंडता को प्राथमिकता देने की बात कही गई है। इसके बावजूद, परियोजना शोम्पेन आदिवासी रिजर्व के एक बड़े हिस्से को रद्द करती है और उनके जंगल पारिस्थितिकी तंत्र को नष्ट करती है।

आदिवासी अधिकारों की रक्षा

सोनिया गांधी ने यह भी आरोप लगाया कि इस परियोजना में आदिवासी अधिकारों की रक्षा के लिए स्थापित संवैधानिक और वैधानिक निकायों को पूरी तरह से दरकिनार किया गया है। परियोजना के कारण द्वीप पर लोगों और पर्यटकों की भारी भीड़ बढ़ेगी, जो न केवल आदिवासियों के जीवन को प्रभावित करेगी, बल्कि द्वीप के नाजुक पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाएगी। कांग्रेस नेताओं ने इस परियोजना की पारदर्शिता और प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए इसके खिलाफ आवाज बुलंद की है।