चेन्नई, डेस्क रिपोर्ट। मद्रास हाई कोर्ट ने पेंशन को लेकर बड़ा अहम फैसला लिया है। हाई कोर्ट ने कोयंबटूर के कलेक्टर को स्वतंत्रता सेनानी की बेटी को पेंशन देने पर विचार करने के निर्देश दिए है। यह आदेश न्यायमूर्ति अब्दुल कुद्दोज ने कोयंबटूर निवासी एम वलसाला मम्पट्टा द्वारा दायर एक याचिका के निस्तारण पर यह निर्देश पारित किया।
दरअसल, मद्रास हाई कोर्ट में कोयंबटूर निवासी एम वलसाला मम्पट्टा ने पेंशन को लेकर एक याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया कि उनके पिता के नारायणन नांबियार एक स्वतंत्रता सेनानी थे और उन्हें 1992 में अपनी मृत्यु तक स्वतंत्रता सेनानी पेंशन योजना के तहत पेंशन मिलती रही थी। इसके बाद उनकी मां एम कल्याणियम्मा को पारिवारिक पेंशन का लाभ मिल रहा था लेकिन अक्टूबर 1995 में मां की मृत्यु हो गई, जिसके बाद पेंशन समाप्त कर दी गई।
इसके बाद वैसला के पति की 2011 में मृत्यु हो गई तो उसने स्वतंत्रता सेनानी पेंशन योजना के तहत अपने पिता की पेंशन को उनके पक्ष में पुनर्जीवित करने के लिए सरकार से संपर्क किया।केंद्र और राज्य सरकार को 15 सितंबर, 2021 के अभ्यावेदन के आधार पर स्वतंत्रता सेनानी पेंशन योजना के तहत याचिकाकर्ता को मासिक पेंशन मंजूर करने का निर्देश देने की मांग की।
सरकारी कर्मचारियों के लिए गुड न्यूज, पुरानी पेंशन बहाली पर CM का बड़ा बयान, जानें कब मिलेगा लाभ?
इसके बाद जब कोई समाधान ना निकला तो मामला हाई कोर्ट पहुंच गया है। इस पर न्यायमूर्ति अब्दुल कुद्दोज ने सुनवाई करते हुए यदि याचिकाकर्ता स्वतंत्रता सेनानी पेंशन योजना के तहत मासिक पेंशन की मंजूरी के लिए पात्र है, तो चौथे प्रतिवादी और जिला कलेक्टर को याचिकाकर्ता को मासिक पेंशन की मंजूरी के लिए दूसरे प्रतिवादी को याचिकाकर्ता के मामले की सिफारिश करने का निर्देश दिया जाता है। मद्रास उच्च न्यायालय ने कोयंबटूर के जिला कलेक्टर को पेंशन योजना के तहत वित्तीय सहायता जारी करने के लिए एक महिला वादी के प्रतिनिधित्व पर 8 सप्ताह के भीतर एक कॉल करने का निर्देश दिया