कर्मचारियों के लिए अच्छी खबर, HC ने दिया 3 सप्ताह का समय, रिपोर्ट होगा पेश, मिलेगा CPF का लाभ, सेवानिवृत्ति आयु में 2 वर्ष की वृद्धि संभव

Kashish Trivedi
Published on -
employees

Employees CPF-Retirement Age Hike : कर्मचारियों को हाई कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। 3 सप्ताह में रिपोर्ट पेश करने के निर्देश देते हुए हाईकोर्ट ने शासन को निर्देश दिया है। या तो कर्मचारियों के लिए कंट्रीब्यूटरी प्रोविडेंट फंड लागू किया जाए या फिर उनके रिटायरमेंट आयु को 58 वर्ष से बढ़ाकर 60 वर्ष किया जाए। हाईकोर्ट ने राज्य शासन को फटकार लगाते हुए कहा है कि मौजूदा नियम के तहत जो व्यवस्था की गई, उससे कर्मचारियों को भला नहीं हो सकता। ऐसे में या तो उन्हें सीपीएफ का लाभ दिया जाए या फिर उनके रिटायरमेंट आयु में 2 वर्ष की वृद्धि सुनिश्चित की जाए। लैंग्वेज और एग्रीकल्चर विभाग से हाईकोर्ट ने 3 सप्ताह में रिपोर्ट मांगी है।

सेवानिवृत्ति आयु पर हाईकोर्ट ने दी स्टे

दरअसल हिमाचल के हमीरपुर जिले के दियोटसिद्ध में स्थित बाबा बालक धाम मंदिर ट्रस्ट के कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु पर हाईकोर्ट ने स्टे दे दी है। दरअसल 58 साल की उम्र में मंदिर ट्रस्ट के कर्मचारी सेवानिवृत्त हो रहे थे। साथ ही हाईकोर्ट ने स्टे देते हुए कहा है कि टू डिफरेंट यार्ड स्टिक कि नीति नहीं अपनाई जा सकती है। कर्मचारी की तरफ से जल्द लेते हुए वकील ने कहा कि नियम के तहत कर्मचारियों को लाभ नहीं दिया जा रहा है, इसलिए उसे राहत दी जाए।

3 सप्ताह में रिपोर्ट पेश की जाएगी 

वही हाई कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश के तहत इसका असर हजारों कर्मचारियों पर पड़ेगा। प्रदेशभर के मंदिर ट्रस्ट में कार्यरत कर्मचारी भी इससे लाभान्वित होंगे। हाई कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि 3 सप्ताह में इसके लिए रिपोर्ट पेश की जाए और साथ ही कर्मचारियों को सीपीएफ का लाभ दिया जाए। उनके सेवानिवृत्ति आयु को 58 वर्ष से बढ़ाकर 60 वर्ष किया जाए।

CPF की जगह EPF लागू

दरअसल मंदिर ट्रस्ट ने कंट्रीब्यूटरी प्रोविडेंट फंड की जगह इपीएफ लागू कर रखा है। इसके साथ ही सीपीएफ में जो लाभ मिलने चाहिए, वह वर्ष 2001 से संशोधित किए गए नियम के तहत भी नहीं दिए जा रहे हैं। जिससे कर्मचारियों को काफी नुकसान लगा है। इसकी भरपाई करने के लिए हाईकोर्ट द्वारा सेवानिवृत्ति आयु में 2 वर्ष की वृद्धि का प्रस्ताव सुझाया गया है।

2001 में ट्रस्ट के नियम में संशोधन 

इससे पहले साल 2001 में ट्रस्ट के नियम में संशोधन किया गया था। जिसमें प्लस डीए में 14% का शेयर ट्रस्ट को भी कर्मचारियों के खाते में जमा करवाना था लेकिन नियम लागू नहीं होने की वजह से आधे अधूरे नियम का लाभ कर्मचारियों को दिया गया और ईपीएफ का प्रावधान लागू कर दिया गया। संशोधन किए गए नियम को लागू नहीं किए जाने मे ट्रस्ट की बड़ी कमी सामने आई।

सीपीएफ लागू हुआ तो पेंशन का लाभ 

वही ट्रस्ट के नियम के तहत सीपीएफ लागू नहीं किया गया। इसके जगह पर ईपीएफ लागू कर दिया गया। ऐसे में पुराने बकाया को जमा करवाने की तैयारी कर दी गई है। अतिरिक्त भार ट्रस्ट पर आएगा और यदि कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु को 2 वर्ष के लिए बढ़ाया जाता है तो भी इससे ट्रस्ट को नुकसान होगा। कर्मचारियों को पेंशन का लाभ भी नहीं मिल पाएगा। यदि सीपीएफ लागू हुआ तो पेंशन का लाभ भी मिलेगा। अब देखना यह है कि विभाग हाईकोर्ट में अपना क्या जवाब पेश करेगी। हालांकि इससे एक बात तो तय है कि कर्मचारियों को एक लाभ जरूर मिलेगा। वहीं मंदिर कर्मचारियों से जुड़े इस मामले में लैंग्वेज एंड आर्ट विभाग को 3 सप्ताह में जवाब दायर करने के लिए कहा गया है।


About Author
Kashish Trivedi

Kashish Trivedi

Other Latest News