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Fri, Dec 19, 2025

इंदिरा कॉलोनी में डिमोलिशन पर हाई कोर्ट की रोक, 6,000 परिवारों को मिली बड़ी राहत

Written by:Vijay Choudhary
Published:
इंदिरा कॉलोनी में डिमोलिशन पर हाई कोर्ट की रोक, 6,000 परिवारों को मिली बड़ी राहत

उत्तर-पश्चिम दिल्ली की इंदिरा कॉलोनी के 6,000 से ज्यादा निवासियों को फिलहाल बड़ी राहत मिली है। शनिवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने नॉर्दर्न रेलवे के प्रस्तावित अतिक्रमण हटाओ अभियान पर रोक लगाते हुए साफ कहा कि 31 जुलाई तक किसी भी तरह की जबरन कार्रवाई नहीं की जाएगी। यह आदेश इंदिरा कॉलोनी रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन की याचिका पर दिया गया, जिसमें 4 जुलाई को जारी बेदखली नोटिस को चुनौती दी गई थी। अदालत ने माना कि मामला गंभीर और गहन जांच योग्य है।

राजनीतिक रंग में रंगा विवाद

इस मुद्दे ने राजनीतिक तूल भी पकड़ लिया है। आम आदमी पार्टी की वरिष्ठ नेता और दिल्ली विधानसभा में विपक्ष की नेता आतिशी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बीजेपी पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने चुनाव से पहले ‘जहां झुग्गी, वहां मकान’ का वादा किया था, लेकिन अब उन्हीं झुग्गियों पर बुलडोजर चलाकर गरीबों को बेघर करने की कोशिश की जा रही है। आतिशी ने इसे बीजेपी की “गरीब विरोधी” नीति करार दिया।

पूर्व शालीमार बाग विधायक बंदना कुमारी ने भी आरोप लगाया कि स्थानीय लोगों में भय और असुरक्षा का माहौल है। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र बीजेपी की मुख्यमंत्री उम्मीदवार रेखा गुप्ता के निर्वाचन क्षेत्र में आता है। उनके भरोसे के बावजूद पहले ही कई झुग्गियों को तोड़ा जा चुका है।

याचिकाकर्ताओं का संवैधानिक तर्क

याचिकाकर्ताओं ने अदालत के समक्ष कहा कि यह बेदखली संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है, जो जीवन और सम्मान के साथ जीने के अधिकार की गारंटी देता है, जिसमें आवास का अधिकार भी शामिल है। उनका आरोप है कि दिल्ली झुग्गी-झोपड़ी पुनर्वास नीति, 2015 और 2016 के ड्राफ्ट प्रोटोकॉल के तहत निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया गया।

याचिका में कहा गया है कि बिना पूर्व सूचना, सर्वे या पुनर्वास योजना तैयार किए अतिक्रमण हटाना कानून के विरुद्ध है। कॉलोनी का नाम दिल्ली अर्बन शेल्टर इम्प्रूवमेंट बोर्ड (DUSIB) की 675 पात्र बस्तियों की सूची में दर्ज है और यह 74वें स्थान पर है। DUSIB के नियमों के अनुसार, किसी भी सरकारी एजेंसी को अतिक्रमण हटाने से पहले बोर्ड से पात्रता की पुष्टि करवाना आवश्यक है।

रेलवे का दावा और अगली सुनवाई

केंद्र सरकार की ओर से पेश वकील ने हाई कोर्ट में कहा कि यह भूमि रेलवे की है और वहां रह रहे लोग अवैध रूप से बसे हुए हैं। उनके अनुसार, बेदखली का नोटिस रेलवे अधिनियम और संबंधित कानूनी प्रावधानों के अनुसार विधिवत जारी किया गया है।

हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि जब तक मामले की विस्तृत जांच नहीं हो जाती, तब तक कोई भी जबरन कार्रवाई नहीं की जाएगी। अदालत ने 31 जुलाई को अगली सुनवाई तय की है। फिलहाल, इंदिरा कॉलोनी के निवासियों को राहत मिली है, लेकिन उनका भविष्य कोर्ट के अंतिम निर्णय पर निर्भर करेगा।