दिल्ली हाई कोर्ट ने यमुना नदी में बिना साफ किए हुए गंदे पानी (अनट्रीटेड सीवेज) की निकासी को लेकर दिल्ली जल बोर्ड (DJB) और दिल्ली नगर निगम (MCD) को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि यमुना में केवल साफ किया गया पानी ही छोड़ा जाना चाहिए, लेकिन हकीकत इससे अलग है। यह मामला साल 2022 से चल रहा है, जब एक अखबार में यमुना की हालत और जलभराव की खराब स्थिति पर रिपोर्ट छपी थी। कोर्ट ने उस पर खुद संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका पर सुनवाई शुरू की थी।
कोर्ट को रिपोर्ट में दिखी लापरवाही
दिल्ली हाई कोर्ट की बेंच, जिसमें जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह और जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा शामिल हैं, ने सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (STPs) की जांच के लिए बनाई गई स्पेशल कमेटी की रिपोर्ट देखी। रिपोर्ट में बताया गया कि दिल्ली के 37 STPs में से कई ठीक से काम नहीं कर रहे हैं, जिसकी वजह से अब भी बड़ी मात्रा में गंदा पानी सीधे यमुना में छोड़ा जा रहा है। कोर्ट ने इस रिपोर्ट को देखकर नाराजगी जताई और कहा कि हालात बेहद चिंताजनक हैं। यमुना की सफाई और सीवेज की व्यवस्था को सुधारने के लिए अभी काफी काम बाकी है।
7 अगस्त को बड़ी बैठक, सभी एजेंसियों को शामिल होने का आदेश
कोर्ट ने 7 अगस्त को एक अहम बैठक बुलाने के आदेश दिए हैं, जिसमें दिल्ली जल बोर्ड, MCD, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (DPCC), दिल्ली राज्य औद्योगिक विकास निगम और अन्य संबंधित एजेंसियों को शामिल होने को कहा गया है। कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि बैठक के बाद एक संयुक्त रिपोर्ट दाखिल की जाए, जिसमें बताया जाए कि यमुना को साफ रखने के लिए क्या-क्या ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।
सड़कों पर जलभराव और ट्रैफिक की भी चिंता
हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि दिल्ली का सीवरेज सिस्टम लंबे समय से खराब हालत में है। बारिश होते ही जलभराव की स्थिति बन जाती है, जिससे ट्रैफिक जाम हो जाता है और लोगों को भारी परेशानी होती है। कोर्ट का कहना है कि अगर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स ठीक से काम करें और सड़कों पर जल निकासी की व्यवस्था बेहतर हो तो न केवल यमुना की हालत सुधरेगी, बल्कि शहर की सफाई और ट्रैफिक व्यवस्था में भी सुधार आएगा।
अब रिपोर्ट के बाद तय होगा अगला कदम
7 अगस्त को प्रस्तावित बैठक के बाद दिल्ली जल बोर्ड और नगर निगम को एक डिटेल जॉइंट एक्शन प्लान के साथ कोर्ट में रिपोर्ट पेश करनी है। इसमें यह साफ तौर पर बताया जाना चाहिए कि यमुना को साफ रखने के लिए क्या कदम उठाए गए और आगे क्या योजना है। कोर्ट का रुख सख्त है और उम्मीद की जा रही है कि इस बार एजेंसियों को लापरवाही छोड़कर जिम्मेदारी से काम करना होगा।





