प्रयागराज, डेस्क रिपोर्ट। उत्तर प्रदेश की इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक बार फिर अहम फैसला सुनाया है।हाई कोर्ट ने मेडिकल प्रमाणपत्र के आधार पर कर्मचारी को सेवानिवृत्त किए जाने का आदेश को रद्द कर दिया है। वही हाई कोर्ट ने कर्मचारी को 31 जुलाई तक सेवा में मानते हुए काम करने और जन्मतिथि हाईस्कूल प्रमाणपत्र के आधार पर मानते हुए उसे राशि का भुगतान करने का आदेश दिया है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने याची विजय श्याम तिवारी की ओर से तर्क दिया गया कि अधिशासी अभियंता ने अपने 30 जून 2022 के आदेश से उन्हें सेवानिवृत्त कर दिया जबकी हाईस्कूल से लेकर उनके सभी रिकॉर्डों में उनकी जन्मतिथि 5 जुलाई 1962 दर्ज है। इस संबंध में विभाग को सूचित भी किया था और उनके द्वारा हाईस्कूल के अंकपत्र की जांच कराकर सत्यापन भी कर चुका है, बावजूद इसके उन्हें एक महीने पहले ही सेवानिवृत्त कर दिया गया।विभाग उनके हाईस्कूल के प्रमाणपत्र को न मानकर बिना किसी कारण के मुख्य चिकित्सा अधिकारी इलाहाबाद द्वारा जारी मेडिकल फिटनेस प्रमाणपत्र में दर्ज जन्मतिथि 19 जून 1962 को मान रहा है।
इस पर हाई कोर्ट न्यायमूर्ति संगीता चंद्रा ने विजय श्याम तिवारी को लोक निर्माण विभाग खंड चार में पर्यवेक्षक पद से सेवानिवृत किए जाने के अधिशासी अभियंता के 30 जून 2022 के आदेश को रद्द कर फिर से सेवा बहाली का आदेश दिया है। कोर्ट ने 31 जुलाई तक सेवा में मानते हुए काम करने का आदेश पारित किया। वही याची की जन्मतिथि हाईस्कूल प्रमाणपत्र के आधार पर मानते हुए उसे राशि का भुगतान करने का भी आदेश दिया गया है।