प्रयागराज, डेस्क रिपोर्ट। उत्तर प्रदेश की इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कर्मचारियों सहायक अध्यापक के हित में बड़ा फैसला सुनाया है। हाई कोर्ट ने कहा कि विकल्प न भरना ग्रेच्युटी न देने का आधार नहीं है। हाई कोर्ट ने सभी याचियों को 6 सप्ताह में 8% ब्याज सहित भुगतान का आदेश दिया है।
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इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस सिद्धार्थ ने शिखा शर्मा, मंजू कुमारी सहित 28 याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि सहायक अध्यापक की 60 साल से पहले मृत्यु होने पर उसके ग्रेच्युटी का भुगतान इस आधार पर नहीं रोका जा सकता है कि उसने 60 साल में सेवानिवृत्त होने का विकल्प नहीं भरा था। कोर्ट ने मामले में सभी याचियों को 6 सप्ताह के भीतर आठ फीसदी की दर से ग्रेच्युटी भुगतान का आदेश दिया।इसके साथ ही कोर्ट ने डीआईओएस के आदेश को भी रद्द कर दिया है।
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दरअसल, याची मंजू कुमारी की ओर से अधिवक्ता स्वयं जीत शर्मा ने हाई कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि याची के पति की मृत्यु सेवानिवृत्ति होने से पहले ही हो गई है, ऐसे में उन्होंने सेवा के दौरान विकल्प का चुनाव नहीं किया था, जिसके चलते DIOS ने ग्रेच्युटी का भुगतान करने से मना कर दिया है, जिसके बाद याचियों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी है।इसकी सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने याची को बड़ी राहत दी है और ग्रेच्युटी भुगतान का आदेश दिया।