अहमदाबाद, डेस्क रिपोर्ट। गुजरात हाई कोर्ट ने एक बार फिर कर्मचारी मामले में बड़ी राहत दी है। हाई कोर्ट ने कहा कि पिछली अवधि में अर्जित वेतन वृद्धि देने से केवल इसलिए अस्वीकार नहीं किया जा सकता क्योंकि इस राशि के देय होने तक कर्मचारी सेवानिवृत्त हो गया था। हाई कोर्ट ने 12 सप्ताह में अर्जित वेतन वृद्धि (इस अवधि के दौरान ) देने का आदेश दिया है।
हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, कर्मचारियों को दी बड़ी राहत, कलेक्टर समेत 3 को नोटिस
दरअसल, गुजरात हाई कोर्ट की पीठ राज्य सरकार को याचिकाकर्ताओं के पेंशन और अन्य सेवानिवृत्ति लाभों में एक वेतन वृद्धि और संशोधन का लाभ देने का निर्देश देने वाली मांग की 11वीं याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।जस्टिस बीरेन वैष्णव ने दिल्ली हाईकोर्ट के साथ सहमति व्यक्त करते हुए कहा कि जब पिछली अवधि की सेवा के वेतन वृद्धि अर्जित की गई तो इस आधार पर इंकार करना वैध नहीं है कि जिस तारीख को वेतन वृद्धि देय हुई, सरकारी कर्मचारी पद पर नहीं था क्योंकि वह सेवानिवृत्त हो गया था।
गुजरात हाई कोर्ट ने साफ कहा कि केंद्र सरकार के कर्मचारी ने पहले ही सेवा का 1 वर्ष पूरा कर लिया और 30 जून को सेवानिवृत्त हुए है, ऐसे में जो भी वेतन वृद्धि अर्जित हुई है,उस केवल इस आधार पर अस्वीकार नहीं किया जाता है कि वह वेतन वृद्धि के अगले दिन नौकरी में नहीं था यानि दूसरे दिन रिटायर हो चुका था।हाई कोर्ट ने इस दौरान इसी तरह के राजस्थान हाई कोर्ट और दिल्ली हाई कोर्ट के वेतन वृद्धि के मामले का भी जिक्र किया ।
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हाई कोर्ट ने कहा कि यह न्यायालय उपरोक्त निर्णयों में लिए गए विचार से सहमत है कि सरकारी कर्मचारी 1 जुलाई को देय वेतन वृद्धि का हकदार है, भले ही वह 30 जून को सेवानिवृत्त हो गया हो। जिस दिन वेतन वृद्धि देय हो गई थी, जिस दिन सरकारी कर्मचारी सेवानिवृत्ति के कारण पद पर नहीं था, ऐसे में वेतन वृद्धि देने से मना करना संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है और वेतन वृद्धि के भुगतान की योजना है सिविल सेवा नियमों के अनुच्छेद 151 के के तहत है। तदनुसार, पीठ ने निर्देश दिया कि याचिकाकर्ताओं को 12 सप्ताह की अवधि के भीतर वेतन वृद्धि प्रदान की जाए।